शासन ने ग्राम पंचायत को अपग्रेड करके नगर पंचायत बना दिया तो नवोदय विद्यालय ने बच्चे का दाखिला निरस्त कर दिया…,इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र का दर्जा शहरी कर दिया, इससे बच्चे का अधिकार खत्म नहीं किया जा सकता…,बच्चे को दाखिला देने हाईकोर्ट ने दिया आदेश…

शासन ने ग्राम पंचायत को अपग्रेड करके नगर पंचायत बना दिया तो नवोदय विद्यालय ने बच्चे का दाखिला निरस्त कर दिया…,इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र का दर्जा शहरी कर दिया, इससे बच्चे का अधिकार खत्म नहीं किया जा सकता…,बच्चे को दाखिला देने हाईकोर्ट ने दिया आदेश..

पेंड्रा।गौरेला।मरवाही (छग एमपी टाइम्स/12 सितंबर 2025) :
शासन ने ग्राम पंचायत को अपग्रेड करके नगर पंचायत बना दिया। ग्रामीण क्षेत्र और नगरीय क्षेत्रों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए नवोदय विद्यालयों में भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा में अलग अलग मापदंड निर्धारित हैं, इस इस मापदंड को आधार बनाकर नवोदय विद्यालय प्रबंधन ने बच्चे का दाखिला खारिज कर दिया था। जिसके बाद बच्चे की याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि गांव के स्कूल को शहर का स्कूल बना देने पर बच्चे का भविष्य दांव पर नहीं लगा सकते, इसलिए बच्चे का दाखिला लिया जाए।

दरअसल ये पूरा मामला नगर पंचायत मरवाही से जुड़ा हुआ है। भूपेश बघेल सरकार ने मरवाही, लोहारी और कुम्हारी तीन ग्राम पंचायतों को मिलाकर नगर पंचायत बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। उसके बाद विष्णुदेव साय सरकार में मरवाही नगर पंचायत पूर्ण रूप से अस्तित्व में आ गया। इससे तीनों ग्राम पंचायत अपग्रेड होकर नगर पंचायत बन गए। इसलिए यहां के स्कूल भी नगरीय क्षेत्र के स्कूल कहलाने लगे।

मरवाही निवासी छात्र अनुकल्प गुप्ता पिता अजय गुप्ता ने तीसरी, चौथी, पांचवीं की पढ़ाई स्वामी आत्मानंद स्कूल मरवाही में की। इसी स्कूल में पढ़ने के दौरान छठवीं कक्षा में प्रवेश के लिए नवोदय विद्यालय पात्रता परीक्षा में उसका चयन ग्रामीण कोटे से हो गया। जब उसका चयन हुआ तब ग्राम पंचायत अपग्रेड होकर नगर पंचायत बन चुका था, इसलिए नवोदय विद्यालय मल्हार के प्राचार्य ने उसका दाखिला रद्द कर दिया।

इसके बाद छात्र ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया। जिसपर फैसला देते हुए जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की बेंच ने कहा कि, बच्चा पढ़ाई में मेघावी है, उसने तीसरी से पांचवीं तक की पढ़ाई उसी स्कूल में की है, जो पहले ग्रामीण क्षेत्र में आता था। राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र का दर्जा शहरी कर दिया। इससे बच्चे का अधिकार खत्म नहीं किया जा सकता। जस्टिस ने कहा कि किसी बच्चे को तकनीकी कारणों से बेहतर शिक्षा से वंचित करना न्याय संगत नहीं है।

नवोदय विद्यालय से संबंधित मुख्य बिंदु :-
• नवोदय विद्यालय का उद्देश्य : नवोदय विद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के मेधावी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
• शहरी छात्रों का प्रवेश : नवोदय विद्यालय में शहरी पृष्ठभूमि के छात्र भी प्रवेश लेते हैं, लेकिन उन्हें पात्रता परीक्षा में ज्यादा अंक प्राप्त करने होते हैं।
• नवोदय विद्यालय की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली बच्चों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी और ये केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से संबद्ध है।
• इन विद्यालयों में कक्षा 6 से 12 तक छात्रों को निःशुल्क शिक्षा, भोजन और आवास प्रदान किया जाता है, लेकिन कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों से विद्यालय विकास निधि के रूप में मामूली शुल्क लिया जाता है।

यह मामला दर्शाता है कि कैसे अदालतें छात्रों के अधिकारों की रक्षा करती हैं और शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करती हैं। इस मामले में, अदालत ने नवोदय विद्यालय की अपनी ही योजना के मूल उद्देश्य से आगे बढ़ते हुए, प्रवेश के लिए स्थापित मानदंडों पर ध्यान केंद्रित किया है, जो मेधावी छात्रों की पहचान करना और उन्हें शिक्षा प्रदान करना है।