छत्तीसगढ़ : क्या सरल-सहज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की छवि को खराब करने शिक्षा विदों से सलाह लिए बिना शिक्षा विभाग में लाई गई युक्तियुक्तकरण नीति…? प्रायमरी से हायर सेकेंडरी स्कूल तक शिक्षकों के लगभग 50000 पद समाप्त होने के बाद टूटेंगे बीएड-डीएड-टेट किए युवाओं के शिक्षक बनने के सपने, बढ़ेगी बेरोजगारी और सरकार का विरोध…,57000 हजार शिक्षकों की भर्ती के “मोदी के गारंटी” पर लगा पलीता…,प्रायमरी स्कूलों में 2 शिक्षक कैसे पढ़ाएंगे 5 कक्षाओं के 18 पीरियड…? शिक्षा व्यवस्था बर्बाद करने की नीति के विरोध में रायपुर में जुटे हजारों शिक्षक…

छत्तीसगढ़ : क्या सरल-सहज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की छवि को खराब करने शिक्षा विदों से सलाह लिए बिना शिक्षा विभाग में लाई गई युक्तियुक्तकरण नीति…? प्रायमरी से हायर सेकेंडरी स्कूल तक शिक्षकों के लगभग 50000 पद समाप्त होने के बाद टूटेंगे बीएड-डीएड-टेट किए युवाओं के शिक्षक बनने के सपने, बढ़ेगी बेरोजगारी और सरकार का विरोध…,57000 हजार शिक्षकों की भर्ती के “मोदी के गारंटी” पर लगा पलीता…,प्रायमरी स्कूलों में 2 शिक्षक कैसे पढ़ाएंगे 5 कक्षाओं के 18 पीरियड…? शिक्षा व्यवस्था बर्बाद करने की नीति के विरोध में रायपुर में जुटे हजारों शिक्षक…

रायपुर (CG MP TIMES/दिनांक 28 मई 2025) :
छत्तीसगढ़ राज्य में इन दिनों राजनीतिक गलियारे से सबसे चर्चा का विषय बना हुआ है कि, क्या राज्य के सरल-सहज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की छवि को खराब करने शिक्षा विभाग में शिक्षा विदों से सलाह लिए बिना युक्तियुक्तकरण नीति लागू की गई है ? भाजपा ने विधानसभा चुनाव में मोदी की गारंटी के नाम से घोषणा पत्र जारी करके 57000 शिक्षकों की भर्ती करने का वायदा किया था। ये 57000 पद वर्ष 2008 के सेटअप के अनुसार भर्ती होते। लेकिन वर्ष 2025 में युक्तियुक्तकरण नीति के नाम से जो सेटअप लागू किया गया है, उससे राज्य के प्रायमरी स्कूलों से लेकर हायर सेकेंडरी स्कूलों तक शिक्षकों के लगभग 50000 पद एक झटके में समाप्त हो गए हैं। ऐसे में 2028 तक भाजपा के शासनकाल में 57000 शिक्षकों की भर्ती असंभव है। इससे बीएड-डीएड-टेट किए हुए छत्तीसगढ़ राज्य के लाखों युवाओं या ये कहिए कि लाखों परिवारों के सपने टूट गए हैं। नया सेटअप राज्य में सरकारी स्कूलों की शिक्षा को बर्बाद करने के साथ ही साथ बेरोजगारी को बढ़ाने वाला है। इस शिक्षा, शिक्षक विरोधी युक्तियुक्तकरण के विरोध में बुधवार 28 मई को रायपुर में 23 संगठनों के हजारों शिक्षकों ने एकत्रित होकर शिक्षा व्यवस्था बर्बाद करने वाली नीति का विरोध किया है।

यहां यह बताना लाजिमी है कि ये युक्तियुक्तकरण की नीति लाल फीता शाही के हावी होने के कारण लागू हो रही है। लेकिन जनता से किए गए वायदों को पूरा करने और सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ ही वायदे के अनुसार शिक्षकों की भर्ती के प्रति जवाबदेही तो सत्ता में बैठे राजनीतिक दल की है।

आने वाले दिनों में जनता के बीच में जाकर सत्ता पक्ष को जवाब देना पड़ेगा कि “मोदी की गारंटी” का क्या हुआ ? प्रायमरी स्कूलों में 2 शिक्षक 5 कक्षाओं के 18 पीरियड कैसे पढ़ाएंगे ? उसमें भी रोज नये-नये डाक, विभिन्न जानकारियाँ, जाति प्रमाणपत्र, अपार आईडी, बीएलओ कार्य, एफएलएन, बालवाड़ी, यू डाइस, छात्रवृत्ति, निर्वाचन, एमडीएम, सर्वे इत्यादि बहुत से कार्य शिक्षकों को करना होता है।

क्या सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था चौपट करने के बाद भाजपा नेता और लाल फीता शाही वाले अधिकारी अब अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजेंगे ? जनता तो ये भी पूछेगी कि क्या लाल फीता शाही शिक्षा विशेषज्ञ हो गए हैं और जब ये शिक्षा विशेषज्ञ नहीं हैं तो फिर शिक्षा विदों से सलाह लिए बिना युक्तियुक्तकरण की नीति क्यों लागू की गई ?

जनता ये भी पूछेगी कि प्रायमरी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता पूरी तरह से बर्बाद करने वाली नीति क्यों लागू की गई। इस नीति के लागू होने के बाद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चे प्रतिस्पर्धा के योग्य नहीं बन पाएंगे।

कुछ राजनीतिक जानकार यह तर्क दे रहे हैं कि आने वाले साढ़े तीन साल के बाद विधानसभा चुनाव आयेंगे, तब तक ये मामला ठंडा हो जाएगा, लेकिन ये शिक्षा, शिक्षा व्यवस्था, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब परिवार, बीएड डीएड टेट किए बेरोजगारों सहित बड़ी आबादी से जुड़ा मामला है, इसलिए शांत होने वाला नहीं है। वहीं इस मामले में शांत बैठी कांग्रेस भी मौके में राजनीतिक लाभ लेने की रणनीति पर काम कर रही है, कयोंकि इससे कांग्रेस को बैठे बिठाए भाजपा के खिलाफ बड़ा राजनीतिक हथियार मिल गया है। वहीं शिक्षक बनने का आस लगाए हुए लाखों बेरोजगार शिक्षक बनने का सपना टूटते हुए देखकर भाजपा विरोधी हो रहे हैं।