एलबी शिक्षक खबर : 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ शासन की एसएलपी खारिज होने के बावजूद सोना साहू को केस में सहयोग करने के नाम पर सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष मनीष मिश्रा के संरक्षण में समिति बनाकर एलबी शिक्षकों से लाखों रुपए चंदा लेने का गोरख धंधा लगातार जारी…,सहयोग राशि बंद करने की अपील अब तक नहीं करने से समिति की नीयत पर उठ रहे सवाल….
रायपुर (CG MP TIMES/01 अप्रैल 2025) :
छत्तीसगढ़ राज्य के सूरजपुर जिले की एलबी संवर्ग सहायक शिक्षिका सोना साहू के द्वारा 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट से क्रमोन्नत वेतनमान का केस जीतने के बाद भी “”छत्तीसगढ़ सर्व शिक्षक एलबी संवर्ग कल्याण समिति”” की आड़ में एलबी शिक्षकों से आर्थिक सहयोग लेने का गोरख धंधा लगातार जारी रहने से राज्य भर के एलबी संवर्ग शिक्षकों में समिति के संरक्षक मनीष मिश्रा सहित सभी सदस्यों के विरुद्ध नाराजगी बढ़ते जा रही है। लगभग 20 लाख रुपए से ज्यादा समिति के खाते में जमा हो जाने के बावजूद सोना साहू के नाम पर एलबी शिक्षकों की आर्थिक सहयोग करने वाली भावनाओं से खिलवाड़ करते हुए से उगाही का क्रम जारी है।
छत्तीसगढ़ राज्य के एलबी संवर्ग शिक्षकों का कहना है कि उनकी सोना साहू से सहानुभूति है और वो सुप्रीम कोर्ट में अच्छे से केस लड़ने के लिए सोना साहू के नाम पर आर्थिक सहयोग किए और यदि केस लंबा चलता तो और भी बढ़ चढ़ कर आर्थिक सहयोग करते रहते। लेकिन जब सोना साहू मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शासन की याचिका को खारिज करके सोना साहू के पक्ष में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के दिए हुए फैसले को बरकरार रखा है तो फिर सोना साहू को कोर्ट में केस लड़ने में मदद पहुंचाने के नाम पर लगातार एलबी शिक्षकों से अवैध रूप से आर्थिक उगाही क्यों किया जा रहा है ?
सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष मनीष मिश्रा के संरक्षण और फेडरेशन के पदाधिकारियों के नाम से बने छत्तीसगढ़ सर्व शिक्षक एलबी संवर्ग कल्याण समिति के द्वारा आर्थिक सहयोग स्थगित करने के लिए अब तक एलबी संवर्ग शिक्षकों से कोई भी अपील नहीं किए जाने से समिति के नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वहीं समिति ने दिल्ली में वकील को फीस से लेकर अन्य खर्चों का लेखा जोखा भी सार्वजनिक नहीं किया गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट में मामला 17 मार्च को निराकृत होने के बावजूद समिति के खाते में लगातार आर्थिक सहयोग पहुंच रहा है।
यदि समिति की नीयत साफ होती तो 17 मार्च को ही आर्थिक सहयोग को स्थगित करने की अपील कर दी जाती। लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया गया है।
बता दें कि सूरजपुर जिले की 2005 बैच की एलबी संवर्ग सहायक शिक्षिका सोना साहू ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के डबल बेंच से क्रमोन्नत वेतनमान का केस जीता है। इस फैसले को छत्तीसगढ़ शासन ने एसएलपी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया था, जहां डबल बेंच ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन की याचिका को खारिज कर दिया।
चूंकि एक पद पर 10 वर्ष से अधिक समय सेवा देने के कारण छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग एक लाख एलबी संवर्ग शिक्षक क्रमोन्नत वेतनमान के दायरे में आते हैं। इसलिए सोना साहू मामले से सभी एलबी शिक्षकों का जुड़ाव होने के कारण ही सभी एलबी शिक्षक आर्थिक सहयोग करने की मनः स्थिति बना चुके थे और उनमें से बहुत से एलबी शिक्षकों ने आर्थिक सहयोग दिया भी है।
एलबी शिक्षकों का कहना है कि आने वाले समय में यदि छत्तीसगढ़ शासन यदि पुनः सुप्रीम कोर्ट के हायर बेंच में अपील करती है तो जो सहयोग राशि समिति के खाते में शेष है उसका केस लड़ने पर उपयोग किया जाए और यदि केस लंबा खिंचने लगे और उसके बाद भी और राशि की जरूरत पड़ती है तो एलबी शिक्षक आर्थिक सहयोग करने के लिए तैयार हैं। लेकिन फिलहाल जब केस का फैसला हो गया है तो केस के नाम पर अवैध रूप से उगाही का गोरख धंधा बंद किया जाना चाहिए।