छत्तीसगढ़ : भाजपा सरकार के कार्यकाल के पहले साल में डीए जैसे मुद्दे पर हड़ताल होना हड़ताल के चलन का अच्छा संकेत नहीं…डीए देने के “मोदी की गारंटी” के बावजूद हड़ताल की नौबत क्यों आने दी गई…?संयुक्त मोर्चा की तरह फेडरेशन से भी वार्ता किया जा सकता था…,डीए मुद्दे पर कर्मचारियों की नाराजगी और बार बार हड़ताल का खामियाजा उठाना पड़ा था भूपेश सरकार को…पढ़िए पूरा विश्लेषण…

छत्तीसगढ़ (CG MP TIMES/27 सितम्बर 2024) :
छत्तीसगढ़ : भाजपा सरकार से पहले ही साल नाराज दिख रहे राज्य के कर्मचारी 27 तारीख को कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले हड़ताल करेंगे। हड़ताल का मुख्य मुद्दा महंगाई भत्ता है। भाजपा ने नवम्बर 2023 के विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में “मोदी की गारंटी” देते हुए कर्मचारी और अधिकारियों को देय तिथि से महंगाई भत्ता देने का वादा किया था। यह वायदा भाजपा के द्वारा कर्मचारियों से इसलिए किया गया था, क्योंकि कर्मचारी 5 साल भूपेश बघेल सरकार से महंगाई भत्ता के मामले में नाराज चल रहे थे। इसी नाराजगी के कारण कर्मचारियों को कई बार हड़ताल करना पड़ा था, जबकि भूपेश सरकार से पहले डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार से महंगाई भत्ता लेने के लिए कर्मचारियों को हड़ताल की जरूरत कभी नहीं पड़ी थी।

अपनी सरकार में भूपेश बघेल ने केंद्रीय कर्मचारी के बराबर महंगाई भत्ता देने की परंपरा को बंद करके 5 साल के कार्यकाल में कर्मचारियों और पेंशनरों को लाखों रुपए का चोट पहुंचाया था, जिसके कारण कर्मचारी और पेंशनर इतने नाराज थे कि, कर्मचारियों ने एकजुट होकर भाजपा से चुनाव के समय वायदा लिया कि यदि भाजपा कर्मचारियों को देय तिथि से महंगाई भत्ता देगी तो कर्मचारियों का रुख भाजपा के लिए सकारात्मक होगा। इसी वजह से भाजपा ने कर्मचारियों को देय तिथि से महंगाई भत्ता देने का “मोदी के गारंटी” के साथ वायदा किया और साथ ही भूपेश बघेल सरकार में बचे हुए महंगाई भत्ता के एरियर को जीपीएफ खाते में अंतरित करने का भी “मोदी का गारंटी” दिया।

इसका नतीजा यह हुआ कि राज्य में भाजपा की सरकार आ गई। लेकिन जब महंगाई भत्ता देने की बारी आई तो प्रदेश की भाजपा सरकार ने कर्मचारियों को देय तिथि से महंगाई भत्ता ना देकर 8 महीने का एरियर रोककर महंगाई भत्ता दिया। जिसे सीधे-सीधे कहा जा सकता है कि भाजपा सरकार में महंगाई भत्ता की पहली ही “बोहनी” कर्मचारियों के लिए खराब हो गई। चूंकि बोहनी खराब हो गई इसलिए सरकार से विश्वास डगमगा गया और सरकार एवं कर्मचारियों में रार बढ़ने लगा। कर्मचारी ज्ञापन के माध्यम से देय तिथि से महंगाई भत्ता की मांग सरकार से लगातार करने लगे, लेकिन सरकार की कान में जूं तक नहीं रेंगा।

चूंकि 1 जनवरी 2024 से केंद्रीय कर्मचारियों के साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य के भारतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग के अधिकारियों और विद्युत विभाग के कर्मचारियों को 50% महंगाई भत्ता मिल रहा है, इसलिए छत्तीसगढ़ राज्य के सभी विभागों के कर्मचारी भी 50% महंगाई भत्ता देय तिथि से चाहते हैं। क्योंकि छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को अभी 46% महंगाई भत्ता मिल रहा है। लेकिन सरकार महंगाई भत्ता की घोषणा नहीं कर रही है।

9 सितम्बर और 20 की सरकार ने बातचीत कर स्थगित कराया
9 सितंबर को कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा हड़ताल करने वाली थी। जिस हड़ताल को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आश्वासन देकर रोका। उसके बाद यही हड़ताल 20 सितंबर को होने वाला था, तो वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने आश्वासन देखकर हड़ताल को होने से रोक दिया।

27 सितंबर का हड़ताल भी बातचीत से टाला जा सकता था
वहीं कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन 27 सितंबर को हड़ताल का ऐलान की हुई थी और 27 सितंबर को कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन का हड़ताल होना है। लेकिन कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के नेताओं से सरकार द्वारा बातचीत न करना कहीं ना कहीं पर सरकार की रणनीतिक चूक को भी दर्शा रहा है। क्योंकि एक बात यह स्पष्ट है कि देर सबेर सरकार को महंगाई भत्ता देना ही पड़ता है।

दशहरा दीवाली के बीच डीए देने की रही है परंपरा
वहीं अगले माह अक्टूबर में दशहरा और दीपावली का त्यौहार भी है। इन त्योहारों में कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने की परंपरा भी रही है। ऐसा माना भी जा रहा है कि भाजपा सरकार इन त्योहारों के बीच में कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दे सकती है। यदि ऐसा होता है तो फिर 27 सितंबर को होने वाली हड़ताल को भी सरकार कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के नेताओं से बात करके रोक सकती थी। लेकिन इस हड़ताल को नहीं रोका जाना और भाजपा सरकार के पहले ही साल में हड़ताल की शुरुआत होना, सरकार के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। क्योंकि इससे आने वाले समय में विभिन्न मांगों को लेकर हड़तालों का चलन बढ़ सकता है।

अब देखना होगा कि इस हड़ताल के बाद सरकार आने वाले समय में हड़ताल के चलन को बढ़ने देती है या कर्मचारी संगठनों से बात करके बीच का रास्ता निकाला करेगी।