
पेण्ड्रा।गौरेला।मरवाही (छग एमपी टाइम्स/02 जून 2024) :
मरवाही तहसील के ग्राम पीपरडोल में प्रशासन ने जिस रेत भंडारण स्थल को सील किया है, वहां से 7 करोड़ रूपए के रेत को मध्य प्रदेश में अवैध तस्करी करने का आरोप सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश जायसवाल ने लगाया है। मुकेश जायसवाल द्वारा सोशल मीडिया में किए गए पोस्ट के माध्यम से लगाए गए आरोप में यह भी कहा गया है कि यह तस्करी चुनाव आचार संहिता के दौरान अंतर राज्यीय बेरियर ग्राम बरौर में लगे सीसीटीवी कैमरे को बंद कर और बेरियर में वाहन नम्बर की एंट्री कराए बगैर किया गया है।
बता दें कि रतनपुर से रेत लाने और 105 किलोमीटर दूर मरवाही के पीपरडोल गांव में सोन नदी के किनारे प्लॉट किराए पर लेकर भण्डारण करने का आड़ लेकर सोननदी से रेत का अवैध उत्खनन करके भण्डारण किया जाता था और उसे हाईवा, डंफर, ट्रैक्टर से मध्य प्रदेश में रेत तस्करी किया जा रहा था और दिखावे के लिए भंडारण स्थल पर रतनपुर के खदान की रॉयल्टी पर्ची रखा जाता था।
ग्राम बरौर (मरवाही) निवासी सामाजिक कार्यकर्ता ने जीपीएम जिला कलेक्टर द्वारा की गई कार्यवाही की सराहना करते खनिज विभाग पर रेत तस्कर को संरक्षण देने का आरोप भी लगाया गया है। क्योंकि खनिज विभाग ने कभी भी इस बात का भौतिक रुप से जांच नहीं किया कि रतनपुर से किस मार्ग से कितने समय किस वाहन से रेत भंडारण स्थल पीपरडोल लाया गया।
दरअसल रतनपुर से रेत कभी नहीं लाया गया। बल्कि वहां के खदान की रॉयल्टी पर्ची का उपयोग करके सोन नदी और स्थानीय नदी नालों से रेत का अवैध उत्खनन करके भंडारण और मध्य प्रदेश सप्लाई किया जाता था।
बता दें कि जीपीएम जिले में खनिज विभाग की शह पर एक ओर जहां अवैध रूप से मध्य प्रदेश में रेत तस्करी का काम जोरों से चलता रहा, वहीं दूसरी ओर निजी निर्माण कार्य के लिए रेत ले जाने वाले जिले वासियों की गाड़ियों पर लगातार कार्यवाही कर उनसे जुर्माना वसूला जाता रहा।

मरवाही से मध्य प्रदेश के 120 किलोमीटर की दूरी तक के गांव शहर में सोन नदी के रेत का अवैध तस्करी किया गया
मुकेश जायसवाल ने आरोप लगाया है कि दैनिक खपत के हिसाब से 4450 ट्रिप हाईवा में और 3200 ट्रिप ट्रेक्टर ट्राली में कुल लगभग 7650 ट्रिप रेत पीपरडोल-मरवाही से मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के बरतराई, भलवाही, चुकान, भाद, बांड़ीखार, बगडुमरा, निमहा, मंझौली, धनौली, पयारी, सोहीबेलहा, कटकोना, कोतमा, जैतहरी, भालूमाड़ा, बदरा, जमुना, सकोला, गोहंडरा, धुम्मा, सैतिनचुआ, पौराधार, गोविंदा, लहसुई, बिजुरी, भक्ता, लोहसरा, छोटी बेलिया, बड़ी बेलिया, केशवाही, सेमरिहा, राजनगर, रामनगर, डोला, पेजहाटोला, झिरियाटोला, मनटोलिया, पिपरहा, रेउंदाबैहाटोला, सेमरा, फुलवारीटोला, फुलकोना, खोडरी, कुहका, आमाडांड़, मलगा, गुल्लूटोला, टांकी इत्यादि गांव शहर सहित 120 किलोमीटर की दूरी तक रेत का अवैध परिवहन किया गया है।
चुनाव आचार संहिता के दौरान हुआ रेत तस्करी
मुकेश जायसवाल ने कहा कि इसका सबसे आश्चर्यचकित करने वाला पहलू यह है कि छत्तीसगढ़ से एमपी में रेत का परिवहन विधानसभा और लोकसभा के आचार संहिता के मध्य हुआ। रेत के लिए आने जाने वाली वाहनों का उल्लेख ही बैरियर की पंजी में नही है। “पैसे दो बढे चलो” इन सब काले कारनामों के कारण ही अंतर्राज्यीय जांच नाका बरौर का सीसीटीवी खराब कर बंद कर दिया गया है। इनमें बरतराई, आमाडांड़, लहसुई, ओसीएम कोयला खदानों में चल रहे कोयलारी कालोनी अहाता निर्माण कार्यों में 1200 ट्रिप हाईवा से रेत बेची गई है, जिसकी जानकारी अनूपपुर जिला प्रशासन के सहयोग लेकर ठेकेदारों को टीपी सहित कार्यालय में बुलवाकर जानकारी लिया जा सकता है।
मिनी हाईवा से 11000 रूपये के रेट से भी बेचे गए रेत
सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश जायसवाल ने आरोप लगाया है कि मरवाही से लगे मध्य प्रदेश के सरहदी नजदीकी गांवों में ट्रेक्टर से 6000 रुपये प्रति ट्रेक्टर की दर से लगभग 3200 ट्रिप 1 करोड़ 92 लाख रुपये तथा दूर के गांवों में हाईवा-मिनी हाईवा से 11000 रुपये प्रति हाईवा की दर से लगभग 4450 ट्रिप 4 करोड़ 89 लाख रुपये के मूल्य सहित कुल 6 करोड़ 81 लाख रुपये का रेत अवैध उत्खनन करके भंडारण स्थल की आड़ में बेचा गया है। मुकेश जायसवाल का कहना है कि रेत विक्रय की यह राशि और भी बढ सकती है क्योंकि और भी अधिक दूरी का अधिक मूल्य पर रेत भेजा जाता था।
मरवाही से उत्तर प्रदेश रेत भेजने का भी आरोप
मुकेश जायसवाल ने आरोप लगाया है कि मरवाही से रेत उत्तरप्रदेश भी भेजा जाता था। उन्होंने कहा कि इसकी मैनुअल और आईएसटीपी कहां से कौन बनाता था यह सूक्ष्मतम जांच का विषय है। इतनी बड़ी गड़बड़ी नवगठित जीपीएम जिले में हो सकती है यह अकल्पनीय था। निजी उपयोग में लाये गये रेत की पुष्टि में प्रशासन को थोड़ी परेशानी भी हो सकती लेकिन यह जानकारी भी जुटाना संभव है असंभव नहीं। किंतु कोयला खदानों के निर्माण कार्यों में तथा शासकीय सभी निर्माण कार्यों मे लगे रेत की रायल्टी-टीपी की गणना तो आसानी से कराई ही जा सकती है क्योंकि शासन-प्रशासन से बड़ा कोई होता ही नहीं है। पीपरडोल रेत स्टाक से बीस किलोमीटर दूर के श्रमिक तीन शिफ्ट में लोडिंग और सप्लाई का काम करते थे।
पीपरडोल में सोन नदी के रेत का जो दोहन अब हुआ वो पिछले 50 साल में नहीं हुआ
मुकेश जायसवाल ने कहा कि पीपरडोल और उसके आसपास में सोन नदी के दोहन की जो भयावह स्थिति 2023-24 में देखी गई है वह विगत 50 वर्षों मे कभी नही देखी गई। पीपरडोल में सोन नदी के पुल के ऊपर से सोन नदी के दोनों ओर की दुर्दशा देखी जा सकती है।
स्थानीय लोगों को रेत उपलब्ध कराने राज्य से बाहर सप्लाई पर लगे रोक
मुकेश जायसवाल ने कहा कि स्थानीय उपभोक्ताओं को सस्ता सहज रेत उपलब्ध कराने का एकमात्र उपाय है कि अन्य राज्यों में छत्तीसगढ़ के रेत का परिवहन पूर्ण प्रतिबंधित होवे तथा जिला प्रशासन के द्वारा तस्करों के विरूद्ध वसूली और सख्त दंडात्मक कार्यवाही किया जाना चाहिए।