29 जुलाई अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर पूर्व आईएफएस आरजी सोनी ने बाघ प्रदेश बनाने के लिए मध्यप्रदेश के वन कर्मियों और अधिकारियों की प्रशंसा की…,पूर्व आईएफएस बोले, बाघ एक प्रोलिफिक ब्रीडर है, हर दो वर्ष में एक बाघिन 3 से अधिक बच्चे जन्म देती है, समस्या इनके भोजन और पानी के व्यवस्था की है…,पानी और शाकाहारी वन्य प्राणी की उपलब्धता से बाघ की संख्या में स्वमेव वृद्धि होगी…

भोपाल।रायपुर।बिलासपुर (CG MP TIMES/29 जुलाई 2024) :
अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर बिलासपुर फारेस्ट डिवीजन के पूर्व डीएफओ और पूर्व आईएफएस अधिकारी आरजी सोनी ने कहा है कि, मध्यप्रदेश में बाघों का भविष्य उज्ज्वल है। बाघ रहवास क्षेत्रों के समीप रहने वाले ग्रामीणों की समस्याओं को अगर स्नेह पूर्वक सुने तो बाघ और मानव का संघर्ष नहीं होगा और दोनों के लिए शुभ हो सकता है।
   
उन्होंने बताया कि, बाघ एक प्रोलिफिक ब्रीडर है। हर दो वर्ष में एक बाघिन 3 से अधिक बच्चे देती है। समस्या है इनके भोजन और पानी की व्यवस्था की। यदि शाकाहारी वन्य प्राणी कम होंगे तो बाघ गांव की तरफ पशु को खोजता जाएगा।

पहाड़ी क्षेत्रों में पर्याप्त जल के स्त्रोत नहीं होने से भी आपसी संघर्ष और मानव से संघर्ष बढ़ता है। बहुधा हम लोग अधिक वन क्षेत्र को जोड़े जाने की बात करते हैं, जिसका विरोध स्थानीय जन समुदाय करता है, क्योंकि उन क्षेत्रों में विकाश होने में पर्यवारण के नियम कानून वाधक बनते है।
  
यहां तक कि बफर जोन के गांवों को भी विस्थापन करने की सोच के कारण उन गामीणो को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। तो इसका समाधान है, कि कोर क्षेत्र के गांव हटाये, किन्तु बफर के गांव को जब तक आवश्यक न हो नहीं हटाये। इन गांवों से बाघ को 30% शिकार पशुओं से मिलता है।

पूर्व आईएफएस अधिकारी आरजी सोनी ने कहा कि, योजना ऐसी होनी चाहिए कि जो क्षेत्र आपके पास है, उसको समृद्ध करें। उसके हैबिटैट को बाघ के रहने लायक बनाये।

उन्होंने बताया कि, पहली बात बाघ के लिए पानी सबसे बड़ी प्राथमिकता है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में जनवरी के बाद नहीं मिलता। दूसरी जरूरी बात है, शाकाहारी वन्य प्राणी की उपलब्धता। शाकाहारी वन्य प्राणी उन क्षेत्रों में तभी रहेंगे जब वर्ष भर गर्मी में भी पानी रहे।

उन्होंने बताया कि, भोपाल के आस पास बाघ बढ़ने का कारण बड़ी संख्या में चारो तरफ बड़े बड़े तालाब होना और पालतू मवेशी का होना है।
   
बाघों को बढ़ाने में बाधक शिकार को रोकना होगा जो बढ़े बाघों के अन्य क्षेत्रों में जाने पर सहज शिकार हो जाते है।

वन विभाग की सीमित ताकत है, जो अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान के बाहर और भी कम हैं। यदि आरक्षित संरक्षित क्षेत्रो में भी वन्य प्राणियों को सुरक्षा दी जाए और वहां भी रहवास ठीक रखे तो बाघ स्वयं वहां चला जायेगा उन्हें उठाकर नहीं ले जाना पड़ेगा।
  
अपने आप बढ़ती बाघ की कुछ आबादी बाहर ढकेल दी जाती है। वो नए क्षेत्रो में जाएगी ही और इस प्रकार उनके द्वारा ढूंढा गया क्षेत्र अधिक सार्थक उपयोगी और सुरक्षित  होगा। इसलिए अधिक जोर रहवास सुधारने में होना चाहिए बाघ तो 400 किलोमीटर दूर से भी आ जायेगा।
   
जब तक बहूत जरूरी न हो बाघ को अन्यत्र पकड़कर नहीं छोड़ना चाहिए। रहवास ठीक करने पर जोर देना चाहिए।

यह मैं खुद के अनुभव से और क्षेत्र में काम करने के आधार पर कह रहा हूँ। पेंच में अभ्यारण्य क्षेत्र में खरगोश भी मुश्किल से दिखता था, क्योंकि वो पहाड़ी क्षेत्र था और जनवरी के बाद पीने के लिए जल स्रोतों का अभाव था। किंतु उन क्षेत्रों में दर्जनों तालाब दूर दूर बनाये गए और मेरे देखते देखते पेंच अभ्यारण्य में बाघ, बाइसन बड़ी मात्रा में आ गए थे।

पूर्व आईएफएस अधिकारी आरजी ने अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर वन विभाग मध्यप्रदेश के सभी वन कर्मियों और अधिकारियों को शुभकामनाएं दीं हैं, जिनके अथक प्रयासों से मध्यप्रदेश बाघ प्रदेश बना है।