स्कूलों के ग्रीष्मकालीन अवकाश पर डीईओ की लगी नजर…,शिक्षकों को दिया समर कैंप लगाने आदेश…,वर्ष में 52 शनिवार व 20 अतिरिक्त अर्जित अवकाश सहित 72 अतिरिक्त अवकाश पाने वाले अधिकारियों की नजर में क्यों खटकता है स्कूलों का ग्रीष्मावकाश…?शिक्षक संगठन करेंगे डीईओ के आदेश का विरोध…,निर्वाचन सहित अन्य गैर शिक्षकीय काम करने वाले शिक्षकों के ग्रीष्मावकाश से अधिकारियों को क्यों है चिढ़…?

रायपुर।जांजगीर चांपा (छग एमपी टाइम्स/02 मई 2024) :
स्कूलों के ग्रीष्मकालीन अवकाश पर जांजगीर चांपा डीईओ की नजर लग गई है। उन्होंने शिक्षकों को समर कैंप लगाने का आदेश दे दिया है। वर्ष में 52 शनिवार के अतिरिक्त अवकाश के साथ ही वर्ष में 20 अतिरिक्त अर्जित अवकाश पाने वाले अधिकारियों की नजर में स्कूलों का ग्रीष्मकालीन अवकाश खटकता है, जबकि स्कूलों की छुट्टी शनिवार की छुट्टी नहीं रहती है इसलिए स्कूलों में 1 मई से 15 जून तक 46 दिन का ग्रीष्मकालीन अवकाश दिया जाता है। अधिकारी किसी न किसी बहाने से शिक्षकों के ग्रीष्मकालीन अवकाश को प्रभावित करने का प्रपंच रचा करते हैं। यहां बताना लाजिमी है कि निर्वाचन कार्य, सर्वे, जाति प्रमाण पत्र, आयुष्मान कार्ड सहित अन्य कई तरह के गैर शिक्षकीय काम शिक्षकों से लिए जाने के बावजूद उनके ग्रीष्मकालीन अवकाश से अधिकारियों को चिढ़ रहती है। शिक्षक संगठन डीईओ के आदेश का विरोध करने की रणनीति बना रहे हैं।

छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग रायपुर एवं लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर के द्वारा 1 मई से 15 जून 2024 तक स्कूलों में घोषित किए गए ग्रीष्मकालीन अवकाश का जांजगीर चांपा के डीईओ के द्वारा खुला उल्लंघन कर मनमाना तरीके से जांजगीर चांपा जिले में समर कैंप लगाने का आदेश स्कूलों को दिया गया है, जिसका समस्त शिक्षक संगठन विरोध कर रहे हैं। 7 मई को लोकसभा चुनाव का मतदान है, उसके बावजूद 3 एवं 4 मई को कार्यशाला लगाने का आदेश भी जारी किया गया है जबकि मतदान दल गठित कर दिए गए हैं और सभी दलों को गंतव्य स्थल की ओर रवाना भी होना है।

बता दें कि स्कूलों में गर्मी की छुट्टी पर जांजगीर चांपा जिला के डीईओ की नजर लग गई है, जिसके कारण अब इस जिले के अधिकतर शिक्षक छुट्टियां नहीं मना पाएंगे, क्योंकि डीईओ ने समर कैंप लगाने का आदेश जारी कर दिया है, जिसका शिक्षक संगठन विरोध कर रहे हैं।

जबकि डीईओ को अच्छे से मालूम है कि वर्तमान समय में लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं, जिसमें शिक्षकों की मतदान ड्यूटी, कार्यालयों में निर्वाचन ड्यूटी के साथ ही बेरियर ड्यूटी सहित कई तरह की ड्यूटी लगी हुई है। वहीं इन्ही शिक्षकों से आयुष्मान कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, साक्षरता कार्यक्रम सहित कई कार्य पहले भी लिए जा चुके हैं या लिए जा रहे हैं, उसके बावजूद शासन शिक्षकों को गर्मी की जो छुट्टी दिया करती है, उस छुट्टी पर भी डीईओ ने कुदृष्टि लगा दी गड़ा दी है। जिसका शिक्षक संगठन विरोध कर रहे हैं।

समर कैंप के नाम पर गर्मियों में स्कूलों को खोले जाने का जांजगीर चांपा के डीईओ ने जो आदेश जारी किया है, जबकि डीईओ को यह पता है कि 1 मई से लेकर 15 जून तक स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां रहती हैं। यह कोई आज से नहीं चल रहा है बल्कि यह परंपरागत तरीके से चला रहा है। यह छुट्टियां इसलिए दी जाती हैं क्योंकि स्कूलों की सप्ताह में रविवार के अतिरिक्त कोई छुट्टी नहीं रहता है। यदि स्कूलों में भी शनिवार की छुट्टी घोषित कर दी जाए तो शिक्षकों को गर्मी की छुट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन उसके बावजूद भी जिला शिक्षा अधिकारी मनमाने ढंग से समर कैंप का आदेश जारी कर दिए हैं जिसको लेकर शिक्षा जगत में काफी आक्रोश है। यह आक्रोश इसलिए भी है कि शिक्षक इन दिनों निर्वाचन कार्यालय में ड्यूटी कर रहा है। मतदान का कार्य संपन्न कराएगा। बेरियर में भी उसकी ड्यूटी लगी हुई है। उसके अलावा जहां मन पड़ता है, शासन प्रशासन वहां उसकी ड्यूटी लग रही है। उसके बावजूद भी जो गर्मियों की छुट्टी ले देकर शिक्षकों को मिलती है, उस छुट्टी में भी डाका डालने का कार्य जांजगीर चांपा के डीईओ द्वारा किया जा रहा है।

बता दें कि स्कूलों के अलावा राज्य में जितने भी शासकीय कार्यालय संचालित हैं, इन शासकीय कार्यालयों में सप्ताह में 5 दिन सोमवार से लेकर शुक्रवार तक काम लिए जाते हैं तथा शनिवार एवं रविवार को कार्यालय की छुट्टी रहती है। जबकि स्कूलों में सोमवार से लेकर शनिवार तक 6 दिन काम लिए जाते हैं। स्कूलों में सिर्फ रविवार की छुट्टी रहती है। इसी तरह से शिक्षकों को वर्ष में सिर्फ 10 अर्जित अवकाश दिया जाता है जबकि अन्य कार्यालयों के कर्मचारी अधिकारियों को 30 अर्जित अवकाश दिया जाता है। इस तरह से राज्य के कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारी एवं अधिकारियों को वर्ष में 52 शनिवार का अतिरिक्त छुट्टी और 20 अतिरिक्त अर्जित अवकाश मिलता है। उसी के एवज में राज्य सरकार के द्वारा 1 मई से 15 जून तक 46 दोनों का स्कूलों में छुट्टी दिया जाता है। यह छुट्टियों का आंकड़ा शासन एवं प्रशासन के पास है। ऐसा नहीं है कि जो डेढ़ माह की छुट्टी स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों को दी जाती है, यह छुट्टी कार्यालय कर्मचारी से अधिक होती है। यह छुट्टी कार्यालय कर्मचारी से अधिक नहीं होती है, लेकिन चूंकि यह छुट्टी डेढ़ माह की लगातार रहती है, इसलिए प्रशासन का इसमें नजर गड़ा रहता है कि इन्हें बहुत ज्यादा छुट्टी मिल रही है, जबकि ऐसी बात नहीं है, स्कूलों को कोई ज्यादा छुट्टी नहीं मिल रहा है।

इसलिए शिक्षक संगठन शासन प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि यदि शासन प्रशासन को डेढ़ माह की छुट्टी यदि ज्यादा लग रही है तो फिर स्कूलों में डेढ़ माह की छुट्टी को बंद कर शनिवार की छुट्टियां शुरू की जाए और वर्ष में 30 अर्जित अवकाश दिए जाएं, जिससे कि समस्त कार्यालय की तरह स्कूलों में भी छुट्टी एक बराबर मिले और प्रशासनिक अधिकारी इस डेढ़ माह की छुट्टी पर कुदृष्टि रखना बंद करें।