अमरकंटक/अगडाल(रीवा) से श्रवण उपाध्याय (छग एमपी टाइम्स/27 फरवरी 2024) :
श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह का आयोजन अगडाल पोस्ट चोरहटा (रीवा) निवासी पंडित रामभद्र शास्त्री मिश्रा जी के गृहग्राम निवास स्थल में माघ शुक्ल अचला/रथ सप्तमी व मां नर्मदा प्राकट्योत्सव के पावन पुनीत अवसर दिवस से शुक्रवार १६ फरवरी २०२४ से लगातार भागवत कथा का कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें प्रथम दिवस यज्ञशाला प्रवेश, भागवत कथा का शुभारंभ करने के बाद आगे कथा में हिरण्याक्ष वध, ध्रुव चरित्र, भरत प्रसंग, प्रह्लाद और बलि चरित्र, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, रुकमणी विवाह व प्रसंग, वेद स्तुति, सुदामा चरित्र के बाद कथा आगे पूर्ण की गई। उसके बाद यज्ञ, हवन कर कथा की पूर्णाहुति हुई।

माघी पूर्णिमा शनिवार २४ फरवरी २०२४ को कन्यापूजन , ब्राम्हण भोजन उपरांत विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें परिवार, रिश्तेदारों के अलावा अनेक ईस्ट मित्र, ग्रामवासी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

ग्राम अगड़ाल (रीवा) के निवासी पंडित रामभद्र शास्त्री मिश्रा जी के निवास स्थान पर उनके मझिले सुपुत्र विजय शंकर गौतम पत्नी श्रीमती सुशीला गौतम के बड़े बेटे (कथा श्रोता) कपिलमुनी गौतम एवम् पुत्रवधु श्रीमती श्रद्धा (पूनम) गौतम ने यजमान की भूमिका निभाते हुए साप्ताहिक भागवत कथा का श्रद्धापूर्वक श्रवण किया। परिवार के अन्य सदस्य नृसिंहदेव (विपिन) गौतम, रवेंद्र, रविशंकर, रामनरेश, जगबहोर, कमलेश, राजकिशोर, रविकुमार, पंकज, अमन, नमन, राजीव, मनीष, विजय, दीपक, सुंदरलाल, कुमारी शिवानी, कुसुम, पूजा, कीर्ति, क्रांति, पुष्पा, श्रवण, वरुण, कृपाली आदि अनेक जन उपस्थित होकर आयोजन को सफल बनाए।

भागवत कथा वाचक श्री श्री १०८ श्री रामकृष्ण पांडेय ग्राम डोणिया चौहानन (त्योथर) के श्रीमुख से बड़े ही श्रद्धा भाव पूर्वक कथा का वाचन किया गया जिससे उपस्थित जनसमूह उनके कथा से भावविभोर हो उठती थी। उनकी कथा श्रवण करने हेतु क्षेत्र के सैकड़ों लोग उपस्थित होते थे। इनका अगडाल क्षेत्र में लम्बे समय से अनेकों बार कथा का वाचन कर चुके हैं और वर्ष में आगमन होता ही रहता है।


भागवत कथा के अगले दिवस फाल्गुन कृष्ण पक्ष को विजय शंकर गौतम के छोटे पुत्र स्वर्गीय पार्थसारथी (नितिन) का वार्षिक श्राद्ध भी किया गया, जिसमें उनके बड़े भाई कपिलमुनि ने एक वर्ष तक हर माह अनेक तीर्थ स्थलों पर जाकर उनका पिंडदान किया करते थे। उन्ही की याद में भागवत कथा का रसपान किया और अपने छोटे भाई स्वर्गीय पार्थसारथी के वार्षिक श्राद्ध कर उनकी मुक्ति के निमित्त से उनके सारे संस्कार कार्य विधि विधान से कर ब्राम्हण भोज्य कराया गया और दक्षिणा भेंट दे आशीर्वाद ले बिदाई की गई। पंडित रामभद्र शास्त्री जी के मझिले पुत्र के छोटे बेटे थे स्वर्गीय पार्थसारथी। उन्होंने अनेक जगह विद्या अध्ययन किया था। संस्कृत की पढ़ाई अयोध्या से और एलएलबी रीवा से कर रहे थे। कुंडली के अच्छे जानकार थे और बढ़िया पद्धति से पंडताई, पूजन भी कराते थे। अचानक दुर्घटना की वजह से वे अब नहीं रहे।

