
बिलासपुर (CG MP TIMES/19 सितम्बर 2024) :
700 से ज्यादा शिक्षकों से लाखों रुपए का लेनदेन कर बहुचर्चित पोस्टिंग संशोधन घोटाले की जांच में लीपापोती करके आरोपियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। बिलासपुर शिक्षा संभाग में शिक्षकों से लाखों रुपए का लेनदेन कर पोस्टिंग संस्था में संशोधन करने के मामले में जिस व्यक्ति की शिकायत पर कार्यवाही कर ज्वाइंट डायरेक्टर और क्लर्क को सस्पेंड किया गया था, उस शिकायतकर्ता को जांच के दो दिन बाद जांच में उपस्थित होने का पत्र मिला। वहीं संशोधन के लिए मजबूरन लाखों रुपए खर्च करने वाले शिक्षकों को शासन से कोई संरक्षण नहीं दिए जाने और जांच प्रपत्र में शासन द्वारा घुमावदार शब्दों का उपयोग करने के कारण कोई भी शिक्षक लेनदेन की बात को स्वीकार नहीं कर रहा है। जबकि शिक्षक यदि पैसा देकर संसोधन कराने का बयान देते हैं तो उस शिक्षक को शासन द्वारा दोषी न बनाया जाये, बल्कि शासन उसके प्रति सहानूभूति रखे, क्योंकि उसे भ्रष्ट अधिकारियों ने काउंसलिंग में रिक्त संस्थाओं का नाम छिपाकर उस संस्था में संशोधन करने के नाम से लाखों रुपया देने के लिए बाध्य किया था। वहीं जांच से असंतुष्ट शिकायतकर्ता नरेन्द्र राय ने शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर किए गए विभागीय जांच को निरस्त कर सही दिशा से जांच कराने की मांग की है।
शिक्षक पदोन्नति पश्चात पोस्टिंग संशोधन घोटाले के मुख्य शिकायतकर्ता कांग्रेस कमेटी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष रूमगा (मरवाही) निवासी नरेन्द्र राय ने स्कूल शिक्षा विभाग, छ.ग. शासन के सचिव को बिलासपुर शिक्षा संभाग में पदोन्नति एवं पोस्टिंग घोटालों के जांच के संबंध में पत्र में लिखा है कि उन्होंने पिछले वर्ष 2023 में बिलासपुर संभाग (शिक्षा विभाग) के शिक्षकों के पदोन्नति एवं ट्रांसफर के विषय में बिलासपुर के तत्कालीन ज्वाइंट डायरेक्टर एसके प्रसाद एवं क्लर्क विकास तिवारी के विरूद्ध तत्कालीन मुख्यमंत्री से शिकायत किया था कि इन्होंने प्रत्येक शिक्षक से 2 से 3 लाख रूपए लेन देन करके लगभग 15 करोड़ का भ्रष्टाचार कर पोस्टिंग संशोधन घोटाला किया है। जिसके बाद तत्कालीन राजस्व कमिश्नर भीम सिंह द्वारा कराए गए जांच के आधार पर तत्कालीन ज्वाइन्ट डायरेक्टर sk प्रसाद एवं कलर्क विकास तिवारी निलम्बित किया गया था।
उसके बाद इस वर्ष इनकी विभागीय जांच शुरू हुआ। उन्हें अखवार के माध्यम से मालून पड़ा कि शिक्षा संभागीय कार्यालय में शिक्षकों को बुलाकर 12 एवं 13 सितम्बर को जांच किया गया। इसके जांच अधिकारी जेपी रथ अतिरिक्त संचालक रायपुर थे।
नरेन्द्र राय ने आरोप लगाया कि उन्हें भी गवाह के लिए 12 सितम्बर को बुलाया गया था, पर जिस पत्र के माध्यम से बुलाया गया था, वह पत्र 09 सितम्बर को जारी कर पोस्ट किया गया, जो कि पोस्ट आफिस से उन्हें 14 सितम्बर को मिला। क्योंकि 02 दिन में पत्र का रूमगा मरवाही पहुंचना संभव ही नहीं था। पत्र के लिफाफे में 14 सितम्बर का पोस्ट आफिस का सील लगा हुआ है।
नरेन्द्र राय ने आरोप लगाया कि विभागीय जांच में लीपापोती किया गया है। जांच किसी अन्य अधिकारी से कराने की मांग की गई है। साथ ही शासन से उन शिक्षकों को संरक्षण देने की मांग की गई है जिन्होंने संशोधन के लिए मजबूरीवश रूपये दिए। क्योंकि संशोधन कराने के लिए पैसा देने वाले शिक्षक उस संस्था में अपना संसोधन कराए थे, जिस संस्था के नाम को काउंसलिंग में दिखाया ही नहीं गया था। जांच में शिक्षकों को छपे हुए प्रपत्र में जो बयान लिया गया, उसमें लिखा था कि संसोधन के लिए संबंधित शिक्षक ने पैसा दिया अथवा नहीं दिया। पैसा दिया तो क्या प्रमाण है ? लेन देन के मामलों को प्रमाणिक करना कठिन होता है, इसलिए जानबूझकर ऐसे शब्द उपयोग किए गए जिससे कि कोई भी शिक्षक लेनदेन की बात नहीं कर सके। शिक्षक यदि पैसा देकर संसोधन कराने का बयान देते हैं तो उस शिक्षक को दोषी न बनाया जाये, बल्कि शासन उसके प्रति सहानूभूति रखे, क्योंकि उसे भ्रष्ट अधिकारियों ने काउंसलिंग में रिक्त संस्थाओं का नाम छिपाकर उस संस्था में पैसा लेने के लिए बाध्य किया था।
नरेन्द्र राय ने मांग किया है कि विभागीय जांच में जो लीपा पोती हुआ है, उसे निरस्त किया जावे एवं सही दिशा से जांच किया जाए। शिकायत की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, संचालक, अतिरिक्त संचालक एवं जांच अधिकारी को भी भेजा गया है।