वेतन विसंगति का राग अलापने वाले सहायक शिक्षक पड़ने लगे अलग थलग…,पदोन्नति पाकर प्रधान पाठक और शिक्षक बनने वाले सहायक शिक्षक सोना साहू मामले में हाईकोर्ट के फैसले के बाद आए पूर्व सेवा गणना कर क्रमोन्नत वेतनमान के मांग के पक्ष में…,सरकार के समक्ष मजबूती से बात रखने के लिए सभी एलबी शिक्षकों के साझा मंच बनाने की मांग ने पकड़ा जोर…

रायपुर। (CG MP TIMES/17 नवंबर 2024) :
वेतन विसंगति का सही कारण जाने बगैर छत्तीसगढ़ राज्य में वेतन विसंगति का राग अलापने वाले एलबी संवर्ग के सहायक शिक्षक अब अलग थलग पड़ने लगे हैं। क्योंकि सोना साहू मामले में हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद और इस फैसले के बाद कई सहायक शिक्षकों के पक्ष में भी फैसला आने के बाद एलबी संवर्ग शिक्षकों में क्रमोन्नत वेतनमान पाने की संभावना बढ़ गई है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में शिक्षा विभाग में संविलियन के बाद राज्य में सहायक शिक्षकों की संख्या लगभग 73 हजार थी। ये सभी सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा के नेतृत्व में वेतन विसंगति दूर करने की मांग कर रहे थे। लेकिन वर्ष 2022 में तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार कूटनीति अपनाते हुए वन टाइम रिलेक्सेशन के नाम पर पदोन्नति प्रक्रिया शुरू करके बहुत से सहायक शिक्षकों को प्रधान पाठक और शिक्षक के पद पर पदोन्नति दे दी। उसके बाद विभाग में 5 साल की वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति प्रक्रिया लगातार जारी है, इसलिए राज्य में अब तक लगभग 40 हजार सहायक शिक्षकों को प्रधान पाठक और शिक्षक के पद पर पदोन्नति मिल गई है।

वहीं यह बताना भी लाजिमी है कि भूपेश सरकार में सहायक शिक्षकों को वन टाइम रिलेक्सेशन के तहत पदोन्नति मिलते ही सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने सभी जिलों में सम्मेलन आयोजित करके भूपेश सरकार का आभार व्यक्त किया था। जिस आभार के बाद वेतन विसंगति और ज्यादा नासूर हो गई।

जबकि वेतन विसंगति एक पद पर 10 वर्ष कार्य करने के वरिष्ठता क्रम के आधार पर क्रमोन्नत वेतनमान से दूर हो सकता था। लेकिन सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने विधानसभा चुनाव से पहले भूपेश सरकार से सभी सहायक शिक्षकों को पदोन्नति दिलाने के नाम पर शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला से समझौता करके मीडिया में बयान दिया था कि सभी सहायक शिक्षकों को पदोन्नति दी जाएगी, जिससे वेतन विसंगति दूर हो जाएगी।

सिर्फ इतना ही नहीं, मनीष मिश्रा ने यह बचकाना बयान भी दिया था कि, आचार संहिता लागू होने के बावजूद भी आचार संहिता के दौरान चुनाव आयोग से अनुमति लेकर सहायक शिक्षकों को पदोन्नति देने की बात उनकी प्रमुख सचिव से हो गई है। मनीष मिश्रा का मीडिया में यह सब बयान देखने सुनने के बाद एलबी संवर्ग सहायक शिक्षकों को समझ में आ गया था कि मनीष मिश्रा को वेतन विसंगति का सिर और पैर कुछ भी पता नहीं है। वो सिर्फ़ अपना नेतागिरी चमका रहे हैं।

संविलियन के बाद सहायक शिक्षक से पदोन्नति पाकर प्रधान पाठक और शिक्षक बनने वाले 40 हजार सहायक शिक्षकों को यह बात समझ में आ गई है कि उनकी वेतन विसंगति पदोन्नत वेतनमान से नहीं बल्कि क्रमोन्नत वेतनमान से दूर होगी इसलिए अधिकतर पदोन्नत प्रधान पाठक और शिक्षक क्रमोन्नत वेतनमान के मांग के पक्ष में आ गए हैं। अब ये वेतन विसंगति शब्द से पीछा छुड़ाकर सरकार पर क्रमोन्नत वेतनमान देने का दबाव बनाने और पूर्व सेवा गणना के आधार पर क्रमोन्नत वेतनमान के लिए एक मंच बनाकर आन्दोलन में शामिल होने के पक्ष में हैं।

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट से सोना साहू मामले में फैसला आने के बाद एलबी संवर्ग शिक्षकों को समझ में आ गया है कि सरकार से उनकी मांग क्या होनी चाहिए।