रियासत कालीन दौर के 36 गढ़ में से 7 गढ़ों के महासम्मेलन में शामिल हुए राज परिवार के सदस्यों ने अपनी एकता का संदेश दिया, राजमहल परिसर पेण्ड्रा में सतगढ़ महासम्मेलन हुआ, विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया

पेण्ड्रा (छग एमपी टाइम्स/26 दिसम्बर 2023) : छत्तीसगढ़ राज्य के 36 गढ़ों में से 7 गढ़ों का 3 दिवसीय सतगढ़ महासम्मेलन 23 से 25 दिसम्बर तक राजमहल परिसर पेण्ड्रा हुआ। सम्मेलन में रियासत कालीन दौर के 7 गढ़ों के राज परिवार के शामिल सदस्यों ने अपनी एकता का संदेश दिया। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ, जिसके बाद विजेताओं को पुरस्कार वितरण के साथ रंगारंग कार्यक्रम का समापन हुआ।

उल्लेखनीय है कि रियासत कालीन दौर में पेण्ड्रा जमींदारी 7 गढ़ों का मुख्यालय था। उसी समय से परम्परा के अनुसार प्रतिवर्ष सतगढ़ महासम्मेलन आयोजित किया जाता है जिसमें सातों गढ़ और उनसे जुड़े हुए राज परिवार के सदस्य शामिल हुआ करते हैं। 3 दिवसीय कार्यक्रम में सम्मिलित होने कोरबा, चाम्पा, छुरी, उपरोड़ा, लाफागढ़, मातिन एवं करगी-केंदा जमींदारियों से प्रतिभागी पहुंचे हैं। साथ ही सभी 7 गढ़ से राज परिवार के सदस्य भी सम्मेलन में पहुंचे।

तीन दिवसीय सतगढ़ महासम्मेलन में क्रिकेट, बॉलीबॉल, बैडमिंटन, कबड्डी, रिले रेस जैसे विभिन्न खेलों का आयोजन हुआ। क्रिकेट के साथ ही सभी खेल एवं मंचीय कार्यक्रम का आयोजन राजमहल गढ़ी परिसर पेण्ड्रा में सम्पन्न हुआ। उक्त महासम्मेलन का आयोजन राजमहल पेण्ड्रा परिवार के द्वारा किया गया, जिसके संयोजक राजमाता सुशीला देवी सिंह एवं राजा उपेन्द्र बहादुर सिंह हैं।

रियासत काल में बड़ी जमींदारी होने के कारण पेण्ड्रा सतगढ़ का मुख्यालय था

बता दें कि रियासत काल में पेण्ड्रा बड़ी जमींदारी थी। सगे भाई दो योद्धा हिंदू सिंह और छिंदू सिंह तोमर की बहादुरी से प्रभावित होकर रतनपुर राजा ने 16 वीं शताब्दी में पेण्ड्रा जमींदारी की स्थापना करके दोनों योद्धाओं के माध्यम से पिंडरा वन क्षेत्र को पिंडारी लुटेरों के खौफ से मुक्त कराया था। दोनों योद्धाओं ने अपनी सेना के साथ सैकड़ों किलोमीटर के इस क्षेत्र से पिंडारी लुटेरों का सफाया कर दिया था। उसके बाद जमींदार का वंश बढ़ने के बाद इन्हीं के वंशजों ने मातिन, उपरोड़ा, केंदा-करगी जमींदारी की स्थापना की थी जिसे छत्तीसगढ़ में गढ़ की मान्यता भी मिली थी।