
पेण्ड्रा।गौरेला।मरवाही (CG MP TIMES/13 अगस्त 2024) :
जीपीएम जिले के समस्त कर्मचारी संगठनों के कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा ने 13 अगस्त मंगलवार को पेण्ड्रारोड प्रवास पर पहुंचे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को ज्ञापन सौंपकर छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 2 अगस्त 24 को जारी किए गए स्कूलों एवं शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के नाम पर अव्यवहारिक सेटअप पर रोक लगाने की मांग करते हुए यह मांग भी किया कि, स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शिक्षाविदों की समिति गठित कर, समिति की रिपोर्ट के आधार पर नेशनल एजुकेशन पॉलिसी एवं शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत नया सेटअप लागू करने की मांग की है।

ज्ञापन में उल्लेखित किया गया है कि, शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों एवं शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का जो दिशा निर्देश जारी किया गया है, वह नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के उद्देश्यों के अनुरूप नहीं होने से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था पर विपरीत असर पड़ेगा। छात्र – शिक्षक अनुपात को आधार बनाते हुए प्राइमरी स्कूल एवं मिडिल स्कूल का सेटअप जारी किया गया है, जिसके लागू होने से स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। “शिक्षा का अधिकार अधिनियम” के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करना बच्चों का अधिकार है, इसलिए बच्चों के अधिकार के संरक्षण के लिए उपरोक्त सेटअप पर रोक लगाने की मांग की गई है। पहले प्राइमरी स्कूल में 60 बच्चों की दर्ज संख्या में 1 प्रधान पाठक और 2 सहायक शिक्षक की पदस्थापना किए जाने का उल्लेख था, जिसे 1 प्रधान पाठक और 1 सहायक शिक्षक किया जा रहा है। जो कि अव्यवहारिक है क्योंकि पांचवीं तक 18 पीरियड होते हैं। इसके अलावा एफएलएन में हिन्दी विषय के लिए 90 मिनट और गणित विषय के लिए 60 मिनट का समय निर्धारित है। इसके अलावा ईजीएल भी स्कूलों में चल रहा है। ऐसे सिर्फ 2 शिक्षक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे दे सकेंगे। जबकि नई शिक्षा नीति के तहत बहुत से प्राइमरी स्कूल में बालवाड़ी भी संचालित है।

इसी तरह मिडिल स्कूलों में छठवीं से आठवीं तक हिंदी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत एवं अंग्रेजी के 18 पीरियड होते हैं। पहले 105 छात्रों की दर्ज संख्या पर 1 प्रधानपाठक और 4 शिक्षक का पद स्वीकृत था। लेकिन अब 1 प्रधान पाठक और 3 शिक्षक किया जा रहा है। जबकि नियमतः अलग अलग विषयों को पढ़ाने के लिए अलग अलग विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की पदस्थापना होनी चाहिए।
हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल में 9 वीं से 12 वीं की पढ़ाई दो अलग अलग स्तर पर होती है। जिसमें 10 वीं तक सभी 6 विषय पढ़ाए जाते हैं, जबकि 11 वीं एवं 12 वीं में विषयों के आधार पर पढ़ाया जाता है। इसलिए इनमें सभी विषय एवं कक्षा के लिये शिक्षकों की पदस्थापना आवश्यक है। लेकिन युक्तियुक्तकरण नीति बनाते समय इन तथ्यों को भी ध्यान नहीं रखा गया है।
ज्ञापन में उल्लेखित किया गया है कि, जारी सेटअप के अनुसार एक ही परिसर में संचालित प्राइमरी, मिडिल, हाई एवं हायर सेकंडरी स्कूल को एक में समायोजित करने से प्रधान पाठक के अधिकार और औचित्य दोनों ही समाप्त हो जायेंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा से कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के जिला संयोजक डॉ. संजय शर्मा, कर्मचारी अधिकारी महासंघ के जिला संयोजक सुरेन्द्र सिंह, फेडरेशन के जिला महासचिव आकाश राय, महासंघ के जिला महासचिव सत्य नारायण जायसवाल, पेंशनर्स संघ जिला सचिव प्रकाश नामदेव, कैशलेश चिकित्सा संघ के प्रदेश संयोजक पीयूष गुप्ता, सहायक शिक्षक फेडरेशन के जिलाध्यक्ष दिनेश राठौर, छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष सचिन तिवारी, टीचर्स एसोशियेशन जिलाध्यक्ष मुकेश कोरी, सहायक शिक्षक फेडरेशन के महासचिव अजय चौधरी, कर्मचारी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष प्रकाश रैदास, सर्व शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष अभिषेक शर्मा, संयुक्त शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष तबरेज खान, शिक्षक कांग्रेस जिला सचिव प्रमोद पाण्डे, शिक्षक कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्ष मनोज तिवारी, सहायक शिक्षक फेडरेशन के ब्लाक अध्यक्ष ओम प्रकाश सोनवानी, संजय सोनी, राकेश तिवारी, भीष्म त्रिपाठी, महेंद्र मिश्रा इत्यादि उपस्थित थे।
विधायिका स्कूल और सेटअप स्वीकृत करती है, अधिकारी कैसे बदल सकते हैं ?
ज्ञापन में कहा गया है कि, कोई भी नया स्कूल विधायिका/विधानसभा सदन में प्रस्ताव रखकर खोला जाता है, जिसे एक झटके में अधिकारी के हस्ताक्षर से युक्तियुक्तकरण के नाम पर बंद किया जा रहा है। इसी तरह से उस स्कूल का सेटअप सदन में प्रस्ताव रखकर स्वीकृत किया जाता है उसे भी अधिकारी के हस्ताक्षर बदला जा रहा है।
शिक्षा का स्तर गिरने से समाज की उन्नति होगी प्रभावित
ज्ञापन में बताया गया कि, किसी भी व्यक्ति/समाज की उन्नति और लाखों परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में उन्हें मिली अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। लेकिन नए सेटअप के लागू होने के बाद जब शिक्षा की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा तो व्यक्ति/समाज की उन्नति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
शिक्षाविदों की समिति गठित करने की मांग
स्कूलों एवं शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के नाम पर अव्यवहारिक सेटअप पर तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की गई और कहा गया है कि, स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शिक्षाविदों की समिति गठित कर, समिति की रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत नया सेटअप लागू किया जाना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था और समाज के हित में होगा।