मरवाही में फिर मिला 6 माह का सफेद भालू शावक, 36 घण्टे से वन विभाग की निगरानी में…,शावक को मां से मिलाने वन विभाग कर रहा प्रयास…,सीसीएफ और डीएफओ भी मौके पर पहुंच शावक का हालचाल जाने…

पेण्ड्रा।गौरेला।मरवाही (छग एमपी टाइम्स/01 मई 2024) :
मरवाही वन परिक्षेत्र में एक बार फिर दुर्लभ सफेद भालू देखा गया है। 6 माह के इस बार सफेद भालू का शावक आम के पेड़ में चढ़ा हुआ दिखाई दिया। जिसके बाद ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग ने सतर्कता बरतते हुए भालू के शावक को अपनी निगरानी में ले लिया और भालू को उसकी मां से मिलाकर वापस जंगल भेजने का प्रयास किया लेकिन 36 घण्टे की मशक्कत के बाद भी उसकी मां आसपास नहीं दिखी। अब बुधवार की रात में भी शावक पर निगरानी रखते हुए वन अमला मौके पर मौजूद है जिससे कि उसकी मुलाकात उसके मां से हो जाए। सफेद भालू शावक मिलने की सूचना पर बुधवार को बिलासपुर के सीसीएफ भी मौके पर पहुंचे हुए थे।

बता दें कि मरवाही रेंज के ग्राम धोबहर में गांव की सीमा से सटे आम के बगीचे में आम तोड़ने गये लोगों को सफेद भालू पेड़ पर बैठा हुआ नजर आया। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वनविभाग की को दी। जिस पर स्थानीय अमले ने भालू के शावक को नीचे उतारा। भालू का शावक भी अटखेलियां करते हुए वन विभाग की गाड़ी के नीचे छांव में घुसकर बैठ गया।

बाद में मौके पर पहुंचे डीएफओ रौनक गोयल ने भालू के आसपास से लोगों को भीड़ को खाली कराया और भालू के स्वास्थ्य परीक्षण के लिये टीम बुलायी। वहीं शाम होने पर भालू के मां के वापस आने पर जंगल की ओर चले जाने की संभावना व्यक्त की जा रही थी लेकिन भालू शावक की मां आसपास नहीं दिखी जिससे शावक को वन विभाग अपनी निगरानी में ही रखा हुआ है।

बता दें कि पिछले 25 अप्रेल को भी मरवाही के महोरा गांव में एक सफेद भालू सड़क किनारे भूखा प्यासा बदहवाश अवस्था मे मिला था, जिसको कि सकुशल 2 दिन बाद वापस उसकी मां और दूसरे सफेद शावक भाई से मिला दिया गया था। इस बार धोबहर गांव में सफेद भालू का शावक दिखाई दिया है। इस बार इस दूसरे सफेद भालू के बारे में डीएफओ रौनक गोयल ने संभावना व्यक्त करते हुये कहा कि यह वो सफेद भालू का शावक नहीं है जिसे कि कुछ दिन पहले रेस्क्यू किया गया था। उन्होंने बताया कि ये दूसरा सफेद भालू शावक है।

उल्लेखनीय है कि काले भालुओं के रहवास क्षेत्र मरवाही के जंगल में सफेद भालू की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। ऐसा अनुमान है कि डोंगरिया, धोबहर, झिरना, माड़ाकोट इत्यादि जंगल में लगभग 6 से 7 की संख्या में दुर्लभ सफेद भालू हो गए हैं।

यह प्रजाति सामान्य स्लॉथ बीयर प्रजाति की ही है न कि बर्फीले इलाके में पाये जाने वाले पोलर बीयर की। वहीं जंगल में लगातार कटाई, कब्जे और उत्खनन के साथ ही पानी की कमी से लगातार भालू और दूसरे जानवर गांव की ओर जा रहे हैं। जिले में कटाई और उत्खनन की शिकायतों के बाद भी कार्यवाही नहीं की जा रही है।