भूपेश सरकार के कार्यकाल में हुए दमन को नहीं भूले कर्मचारी, कर्मचारियों की नाराजगी लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को पड़ सकती है भारी…,लोकसभा लड़ रहे महंत, डहरिया, देवेन्द्र यादव, विकास उपाध्याय से डीए सहित किसी भी मांग में कर्मचारियों को नहीं मिली थी कोई मदद…,कर्मचारी अपने अधिकारों के हनन, उपेक्षा और आन्दोलन का दमन नहीं भूले हैं…

रायपुर।बिलासपुर।कोरबा।जांजगीर चांपा। (छग एमपी टाइम्स/06 मई 2024) :
विधानसभा चुनाव में कर्मचारियों की नाराजगी कांग्रेस पार्टी को भारी थी, जिसके कारण उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा था। धान बेचने वाले किसानों के भरोसे चुनाव मैदान जीतने का सपना देखने वाली कांग्रेस इस बात का आंकलन नहीं कर पाई थी कि राज्य के 25% किसान कर्मचारी परिवार से ताल्लुक रखते हैं इसलिए वो भी कांग्रेस के खिलाफ हो गए थे। बता दें कि राज्य में लगभग 10 लाख की संख्या में नियमित, अनियमित, संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी तथा पेंशनर हैं। विधानसभा चुनाव में इन सभी में भूपेश सरकार से नाराजगी देखी गई थी, जो कि सरकार के पतन का प्रमुख कारण बना था।

भूपेश सरकार के कार्यकाल को कर्मचारी अब तक नहीं भूले हैं। यही कारण है कि कर्मचारियों की नाराजगी लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है। जिसका प्रमुख कारण यह भी है कि लोकसभा का लड़ रही ज्योत्सना महंत कांग्रेस की सांसद होने एवं उनके पति डॉ. चरणदास महंत के विधानसभा अध्यक्ष होने के बावजूद कर्मचारियों की किसी भी मांग की ओर ध्यान नहीं दिया था। इसी तरह से नगरीय प्रशासन मंत्री होने के बावजूद डॉ. शिव कुमार डहरिया और प्रभावशाली कांग्रेस विधायक होने के बावजूद देवेन्द्र यादव और विकास उपाध्याय ने कर्मचारियों की मांगों को हमेशा अनसुना किया था। इन्होंने कर्मचारियों की किसी भी तरह से कोई मदद नहीं किया था।

मंहगाई भत्ता (डीए) कर्मचारियों का अधिकार होता है उसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने कर्मचारियों के अधिकारों का हनन किया था। कर्मचारियों को 5 साल में एक लाख रुपए से लेकर 4 लाख रुपए तक का डीए के एरियर्स राशि का नुकसान पहुंचाया था। इसके अलावा किसी भी विभाग के किसी भी कर्मचारी संगठन की कोई भी मांग को भूपेश सरकार ने पूरा नहीं किया था। कर्मचारी अपनी उपेक्षा और आन्दोलन का दमन अब तक नहीं भूले हैं। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के लिए कर्मचारी परिवार फिर से खतरे की घंटी बने हुए हैं।

भूपेश के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने किया था कर्मचारियों से वायदा खिलाफी

2018 के विधानसभा चुनाव में जन घोषणा पत्र में कांग्रेस पार्टी ने कर्मचारियों की समस्याओं को शामिल कर इनकी मांगो को पूरा करने का वायदा किया था। लेकिन 5 साल के कार्यकाल में बड़े बड़े आंदोलनों के बावजूद सरकार ने न तो इनसे बात किया था और न ही इनकी मांगो को पूरा किया था। बल्कि हड़तालियों पर कार्यवाही से इनकी नाराजगी और बढ़ाई गई थी। यहां तक कि किसी भी सरकार के इतिहास में पहली बार महंगाई भत्ता के लिए भी कई बार आंदोलन करना पड़ा था। उसके बावजूद राज्य के कर्मचारियों के महंगाई भत्ता के लाखों रुपए का एरियस भुगतान नहीं किया गया था और न ही भुगतान का कोई आश्वासन दिया गया था। जिससे कर्मचारियों को लाखों रूपये की आर्थिक हानि हुई थी। यही कारण है कि कर्मचारियों ने एकजुट होकर सरकार को झटका दिया था।