
पेण्ड्रा।गौरेला।मरवाही (CG MP TIMES/29 सितम्बर 2024) :
मरवाही वन परिक्षेत्र के उसाड़ गांव में 2 लोगों और उससे लगे मनेंद्रगढ़ वन मण्डल के नेवरी गांव में एक व्यक्ति सहित 3 लोगों को मौत के घाट उतारने और 2 लोगों को घायल करने वाले भालू को कानन पेंडारी से पहुंचे वन विभाग की टीम ने ग्राम उसाड़ के डोंगरीटोला में बेहोश करके रविवार की शाम 4 बजे पकड़कर पिंजरे में बंद कर दिया है। इससे पहले बड़ी संख्या में एकत्रित हुए उसाड़ के ग्रामीणों ने भालू को दिनभर खदेड़ा, जिसके कारण भालू थककर लस्त हो गया था, जिससे भालू को ट्रेंकुलाइज करने में आसानी हुई। पकड़े गए भालू के शरीर में 4 जख्म पाए गए, जिससे स्पष्ट होता है कि भालू ने जब उसाड़ के ही जंगल से लगे मनेंद्रगढ़ वन मण्डल के नेवरी के जंगल में जानवर चरा रहे चरवाहे पर हमला किया तो चरवाहे ने अपनी जान बचाने के लिए भालू पर टंगिया से हमला किया होगा, क्योंकि भालू के हमले में मारे गए उस चरवाहे के मरने के बावजूद उसकी मुट्ठी में टंगिया था, जिसका मतलब भालू के शरीर पर 4 जख्म चरवाहे के टंगिया के थे।

भालू लैंड के नाम से मशहूर मरवाही वन परिक्षेत्र में आक्रामक हुए भालू ने 3 दिन में लगातार 3 लोगों को मौत के घाट उतारा था और 2 लोगों को घायल किया था, जिससे आसपास के पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई थी।
बता दें कि शुक्रवार की रात लगभग 1 बजे ग्राम बेलझिरिया निवासी 35 वर्षीय सुकुल सिंह पिता लल्लू खैरवार, 31 वर्षीय रामकुमार पिता बालसिंह खैरवार और 39 वर्षीय चरण सिंह पिता चंदू खैरवार मशरूम लेने ग्राम उसाड़ के जंगल जा रहे थे। कंपार्टमेंट नंबर 2033 जंगल से पहले बने गोविंद पुरी के पुराने खंडहरनुमा मकान के पास बाईक को खड़ा किए तो उस खंडहर में छिपे भालू ने निकलकर उनपर हमला कर दिया। हमले के बाद भागते समय सुकूल नाले में फिसल कर गिर गया, जिसके बाद भालू ने उसे बुरी तरह से नोंचकर मार डाला। हमले में घायलों को 108 की मदद से मरवाही अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराया गया है।
उक्त घटना से पहले इसी गांव में उक्त घटना स्थल से लगभग एक किलोमीटर दूरी पर भालू ने बिहान लाल केवट की 13 वर्षीय बच्ची विद्या केवट को भी नोंचकर मार डाला था।
ये घटना स्थल मरवाही वन मण्डल के अन्तर्गत आते हैं, जो कि मनेंद्रगढ़ वन मण्डल की सीमा से लगे हुए जंगल हैं। उपरोक्त दोनों घटना के बाद उक्त घटना स्थल से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर मनेंद्रगढ़ वन मण्डल के ग्राम नेवरी (कोड़ा) के जंगल में इसी भालू ने शनिवार को ही एक चरवाहे पर हमला कर उसे मार डाला। हमले के बाद अपनी जान बचाने के लिए चरवाहे ने भालू का मुकाबला किया और अपनी टंगिया से भालू के शरीर पर 4 स्थानों पर गहरे जख्म भी दिए हैं। हालांकि इस हमले में चरवाहे की जान चली गई लेकिन मरने के बावजूद उसके हाथों से टंगिया नहीं छूटा था।
उक्त भालू से दहशत फैलने के बाद मरवाही वन मण्डल के डीएफओ रौनक गोयल ने उच्चाधिकारियों को सूचना देकर कानन पेंडारी से भालू को रेस्क्यू करने के लिए टीम बुलाया। जिसके बाद डॉ. चंदन के नेतृत्व में आई टीम ने ग्राम उसाड़ के डोंगरीटोला में भालू को इंजेक्शन से बेहोश कर पकड़कर पिंजरे में बंद कर दिया। इससे पहले ग्रामीणों ने भालू को दिनभर दौड़ाकर थका डाला था। जानलेवा हो चुके उक्त भालू के पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
मृतक परिवारों को जल्द देंगे आर्थिक सहायता – डीएफओ
आक्रामक हो चुके उक्त भालू को पकड़वाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले मरवाही वन मण्डल के डीएफओ रौनक गोयल ने ग्रामीणों की मौत पर अफसोस जताया है। उन्होंने कहा कि मृतक के परिजनों को 25 – 25 हजार रुपए की तात्कालिक सहायता नगद दे दी गई है। 6 – 6 लाख रुपए का मुआवजा राशि जल्द ही परिजन के खाते में ट्रान्सफर कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि घायलों के ईलाज के लिए भी वन विभाग पूरा मदद कर रही है।
एक माह में भालू के हमले के 20 ज्यादा मामले
उल्लेखनीय है कि मरवाही वन परिक्षेत्र में पिछले डेढ़ माह में भालू के हमले के 20 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं जानकारों का कहना है कि लगातार जंगलों में पेड़ों की अवैध कटाई, अवैध कब्जे और अवैध उत्खनन के कारण वन संसाधनों पर मानवीय दखल के बाद भालू लगातार आबादी की ओर पहुंच रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में भालू गांवों में विचरण करते भी देखे गए हैं और कुछ घटनाओं में भालू को काफी आक्रामक भी देखा गया है।
मरवाही में जामवंत योजना फेल
बता दें कि मरवाही के जंगल में भालू के हमले से मौत और भालू के नरभक्षी होने की पहली घटना वर्ष 1995 में सामने आने के बाद वन विभाग ने भालू पर देहरादून की टीम से रिसर्च करने के बाद जामवंत योजना बनाया था। जिस योजना में मरवाही के भालू प्रभावित जंगलों को फेंसिंग तार से घेरने के साथ जंगल के अंदर भालुओं के पसंदीदा फलदार पेड़ पौधे लगाने और जल स्रोतों को बनाने की योजना थी। इस योजना पर पिछले पांच सात वर्षों में काम भी चला। लेकिन जामवंत योजना के पैसे का वन विभाग के द्वारा बंदरबांट और भ्रष्टाचार कर लिए जाने के कारण योजना फेल हो गई। यही कारण है कि भालू आए दिन लोगों पर हमले कर रहे हैं।