
रायपुर (छग एमपी टाइम्स/09 अप्रैल 2024) :
छत्तीसगढ़ के प्रायमरी स्कूल के सहायक शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का कोई लाभ नहीं होगा, जिनकी नियुक्ति हाल फिलहाल में हुई है, क्योंकि उनकी नियुक्ति आदेश में ही सरकार ने इस बात का उल्लेख कर दिया था की उनकी नियुक्ति कोर्ट में लंबित प्रकरण के अधीन है और हाई कोर्ट ने उनके नियुक्ति को अवैध ठहरा दिया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला छत्तीसगढ़ के B.Ed योग्यता वाले सहायक शिक्षकों को राहत देने वाला तो बिल्कुल भी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में साफ किया कि 11 अगस्त 2023 के उसके फैसले से पहले तमाम B.Ed डिग्री धारक प्राथमिक शिक्षक के तौर पर अपनी सेवा में बने रहेंगे, बशर्ते कि उनकी नियुक्ति किसी भी अदालत में विचाराधीन न हो। हालांकि, वे सभी बी.एड शिक्षक जिनकी नियुक्ति इस शर्त पर हुई थी कि वो कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगी, वे सेवा में बने नहीं रहेंगे। उनकी नियुक्ति को कोर्ट ने अवैध माना है। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ के उन तमाम शिक्षकों को इस निर्णय का कोई लाभ नहीं होगा जिनकी नियुक्ति हाल फिलहाल में हुई है।
कोर्ट ने साफ किया कि अगस्त 2023 का उसका आदेश पूरे देश भर पर लागू होता है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने NCTE के 2018 के उस नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था जिसके जरिये B.Ed केंडिडेट भी प्राइमरी स्कूल टीचर्स की नौकरी के लिए योग्य हो गए थे। कोर्ट ने माना था कि B.Ed डिग्री वाले प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन नहीं दे पाएंगे, क्योंकि वो इसके लिए विशेष तौर पर ट्रेनिंग नहीं होते है।
पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था कि बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड.) डिग्री धारक प्राथमिक विद्यालय शिक्षण पदों के लिए योग्य नहीं हैं।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में प्राइमरी एजुकेशन का संवैधानिक अधिकार न केवल 14 साल से कम आयु के बच्चों के लिए फ्री और जरूरी शिक्षा पर जोर देता है, बल्कि क्वालिटी एजुकेशन के प्रावधान को भी जरूरी बनाता है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि कानूनी प्रावधानों और एजुकेशनल स्टैंडर्ड्स के साथ विरोधाभासी नीतिगत निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं, जो मौलिक अधिकार के रूप में प्राइमरी एजुकेशन में क्वालिटी की अनिवार्यता को मजबूत करता है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सहायक शिक्षकों के पद पर बीएड डिग्रीधारी आवेदकों की नियुक्ति एक सप्ताह पहले निरस्त कर दी है। साथ ही 6 सप्ताह में डीएड धारकों की पुनरीक्षित सूची बनाने का आदेश शासन को दिया है। राज्य शासन ने विज्ञापन जारी कर सहायक शिक्षक के पदों के लिए बीएड डिग्री को भी मान्यता दी थी। इसे डीएड डिग्री धारकों ने चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 29 फरवरी को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर दिया था, जिसे एक सप्ताह पहले जारी किया गया।