प्राचार्य और व्याख्याता के रिक्त पदों पर 8 वर्षों से पदोन्नति नहीं होने से नाराज शिक्षक कांग्रेस करेगी शिक्षा सचिव का घेराव…,प्राचार्य के 3576 और व्याख्याता के 8203 पद रिक्त…,प्राचार्य और व्याख्याता के पद रिक्त होने से प्रभावित हो रही शिक्षा की गुणवत्ता…

रायपुर। (CG MP TIMES/06 नवंबर 2024) :
छत्तीसगढ़ राज्य में विगत 8 वर्षों से प्राचार्य के रिक्त 3576 पद और व्याख्याता के रिक्त 8203 पदों पर पदोन्नति नहीं होने के कारण प्रति वर्ष हजारों की संख्या में व्याख्याता एवं मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक बिना पदोन्नति पाए सेवा निवृत हो रहे हैं। शिक्षा विभाग की मनमानी से इससे नाराज शिक्षक कांग्रेस ने दिसम्बर माह में शिक्षा सचिव का घेराव करने का निर्णय लिया है।

छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस के प्रांताध्यक्ष अनिल शुक्ला ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग में पदोन्नति कोटे के विगत 8 वर्षों से रिक्त प्राचार्य के 3576 पद, व्याख्याता के 8203 पदों पर पदोन्नति नहीं होने के लिए प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव तथा संचालक लोक शिक्षण को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि विगत 5 वर्षों से हर वर्ष प्राचार्य पदोन्नति की पात्रता रखने वाले व्याख्याता एवं प्रधान पाठक माध्यमिक विद्यालय का गोपनीय चरित्र तथा अचल संपत्ति का विवरण मांगने के बावजूद पदोन्नति आदेश जारी नहीं होने के कारण प्रति वर्ष हजारों की तादात में व्याख्याता एवं प्रधान पाठक बिना पदोन्नति पाए सेवा निवृत हो रहे हैं। अनिल शुक्ला ने कहा कि संगठन की ओर से सरकार को अल्टीमेटम देकर शीघ्र पदोन्नति आदेश जारी करने के लिए आगाह किया जाएगा अन्यथा आगामी दिसंबर माह में प्रदेश भर से शिक्षक एकत्रित होकर संचालक लोक शिक्षण एवं शिक्षा सचिव का घेराव करेंगे।

प्राचार्य और व्याख्याता के पद रिक्त होने से प्रभावित हो रही शिक्षा की गुणवत्ता

बता दें कि प्राचार्य संस्था का प्रमुख होता है, जिसके हाथों में संस्था का नियंत्रण होता है। शिक्षा विभाग की मनमानी से राज्य में प्राचार्य के 3576 पद रिक्त हैं। ये स्कूल प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चलने से पढ़ाई पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। वहीं विषय विशेषज्ञ माने जाने वाले व्याख्याता के भी 8203 पदों पर पदोन्नति रुके होने से इन विषयों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। ये ऐसे पद हैं कि इनके लिए भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है। सिर्फ वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति आदेश जारी करना है। शिक्षा विभाग के पास वरिष्टता सूची धूल खा रही है। उसके बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यदि शिक्षा की गुणवत्ता से मतलब होता तो पदोन्नति आदेश लगातार जारी करके रिक्त पदों को भरते रहती। लगता है शिक्षा विभाग को शिक्षा की गुणवत्ता से जमीनी स्तर पर कोई लेना देना नहीं है इसलिए 8 साल से पदोन्नति रोक कर रखी है, इसलिए पिछले 8 सालों में शिक्षा के स्तर में गिरावट देखी जा रही है।