प्रसिद्ध बजरंग रामलीला मण्डली में हनुमानजी का जीवंत किरदार निभाने वाले लखन महाराज नहीं रहे…,रामलीला देखने इतनी भीड़ जुटती थी कि शाम ढलते ही लोग बोरा, फट्टी बिछाकर अपनी जगह सुरक्षित करते थे…40 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के जेहन में आज भी रामलीला के सभी प्रमुख किरदार जीवंत हैं…

पेण्ड्रा।गौरेला।मरवाही (छग एमपी टाइम्स/22 मार्च 2024) :
रामलीला में हनुमानजी का जीवंत किरदार निभाने वाले लखन महाराज (राम लखन शुक्ला) नहीं रहे। 81 वर्ष की उम्र में उनका आकस्मिक निधन हो गया।

पेण्ड्रा की प्रसिद्ध बजरंग रामलीला मण्डली में सन 1980-90 के दशक में लखन महाराज हनुमानजी बना करते थे। रामलीला पेण्ड्रा नगर के हृदय स्थल बजरंग चौक स्थित मंच पर हुआ करता था।

इस रामलीला की इतनी लोकप्रियता थी कि बजरंग चौक में पैर रखने की जगह नहीं बचती थी। बच्चे, बूढ़े या महिलाएं इतनी बड़ी संख्या में रामलीला देखने जाया करते थे कि भीड़ में अपनी जगह सुरक्षित करने के लिए शाम ढलने से पहले से ही बोरा, फट्टी बिछाकर अपनी जगह सुरक्षित कर लिया जाता था। 40 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के जो भी पेण्ड्रा के लोग हैं, उनके जेहन में आज भी रामलीला के सभी प्रमुख किरदार जीवंत बसे हुए हैं।

हनुमानजी के रुप में लखन महाराज का लंका दहन करना, अहिरावण का वध कर पाताल लोक से भगवान श्रीराम लक्ष्मण को वापस लाना, मूर्छित लक्ष्मण को बचाने के लिए संजीवनी बूटी लेने गए हनुमानजी के द्वारा पूरा का पूरा द्रोणगिरि पर्वत उठा लाना। यह सभी किरदार आज भी लोगों में जीवंत हैं।

लखन महाराज ने हनुमानजी का किरदार ऐसा निभाया था कि वो जिधर से भी गुजरते थे, पेण्ड्रा के लोग जय बजरंगबली कहकर उन्हें प्रणाम करते थे।

लखन महाराज से पहले बजरंग रामलीला मण्डली में कुंभकरण का जीवंत चित्रण करने वाले पेण्ड्रा के नागर महाराज, रावण का जीवंत किरदार निभाने वाले पतगवां के जगदीश प्रसाद चतुर्वेदी, मेघनाथ का जीवंत किरदार निभाने वाले अमरनाथ चतुर्वेदी का भी निधन हो चुका है।

एक जीवंत किरदार आज भी लोगों के जेहन में है कि सीता स्वयंबर में शिव धनुष टूटने के बाद भगवान परशुराम का ऐसा जीवंत किरदार भी पेण्ड्रा वासियों ने देखा था कि परशुराम का किरदार निभाने वाले ग्राम पतगवां निवासी विद्या प्रसाद चतुर्वेदी ने भगवान परशुराम के रुप में जब मंच की तखत पर अपना पैर पटका था तो तखत के कई टुकड़े हो गए थे।

बता दें कि बजरंग रामलीला मण्डली लगभग 50 साल चला था, जिसमें पेण्ड्रा नगर सहित गांवों के लोगों ने जीवंत किरदार निभाया था। रामलीला हर वर्ष लगभग 25 दिन चला करता था, जिसमें भगवान श्रीराम के जन्म बालकाण्ड से लेकर लंका विजय रावण की मृत्यु एवं भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक तक का पाठ किया जाता था।

सन 80-90 के दशक के गुजरते-गुजरते जब घर घर में टेलीविजन (टीवी) आ गया, उसके बाद बजरंग रामलीला मण्डली ने रामलीला बंद कर दिया। उसके पहले पेण्ड्रा नगर सहित गांवों में पेण्ड्रा के बजरंग रामलीला का अपना अलग महत्व और प्रभाव हुआ करता था।

80-90 के दशक के रामलीला मण्डली में भगवान श्रीराम का अलग-अलग मौके पर किरदार निभाने वाले विनोद शुक्ला, रमाशंकर गौतम और ज्ञानेश्वर तिवारी, माता सीता का किरदार निभाने वाले सूरज पाण्डे तथा लगातार कई वर्षों तक भगवान लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले राम प्रमोद तिवारी को आज भी लोग याद करते हैं, क्योंकि इन्होंने रामलीला में अपनी छाप छोड़ी है।

पेण्ड्रा नगर वासियों के लिए यह बहुत ही दुःख का दिन था कि रावण की लंका जलाने वाले हनुमानजी लखन महाराज शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका अंतिम संस्कार नया बस स्टैण्ड पेण्ड्रा के समीप स्थित मुक्तिधाम में किया गया। वे अपने दोनों पुत्र मनीष शुक्ला, विजय शुक्ला के साथ रहते थे। हनुमानजी का जीवंत किरदार निभाने वाले लखन महाराज को पेण्ड्रा के लोग सदैव याद करते रहेंगे।