रायपुर (छग एमपी।टाइम्स/06 फरवरी 2024) :
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी के पुत्र एवं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के अध्यक्ष पूर्व विधायक अमित जोगी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (X) पर पोस्ट किए अपने लेख में 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को बहुसंख्यक-साम्प्रयादिकता का प्रतीक नहीं बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता बताते हुए इसे 2024 की जनवरी क्रांति बताया है और 2024 की “जनवरी क्रांति” की तुलना 1942 की “अगस्त क्रांति” से किया है। इस सम्बंध में अमित जोगी का एक विस्तृत लेख 6 फरवरी 2024 के अंक में एक राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक अखबार “हरिभूमि” में प्रकाशित हुआ है।
अमित जोगी ने 5000 साल पुरानी भारतीयता सभ्यता के गौतम बुद्ध, सम्राट अशोक, बादशाह अकबर और महात्मा गांधी के बाद पांचवा “सुपर हीरो” प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को बताते हुए लिखा है कि उनके नेतृत्व में देश में “राष्ट्रवाद”- जिसमें सभी वर्गों, विशेषकर अल्प-संख्यक, अति पिछड़ा, दलित और आदिवासी को सभी स्तरों पर मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है।
अमित जोगी ने नई भाजपा की संज्ञा देते हुए लिखा है कि भारतीय राजनीति में “प्रतिमान विस्थापन”- सभी पुरानी धारणाओं को झुठलाकर एक नवीन आत्म-पहचान की स्थापना- की है। 22 जनवरी के अपने व्याख्यान में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और सरसंघचालक मोहन भागवत का महात्मा गांधी, अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन, सिस्टर निवेदिता और गुरु रबींद्रनाथ टैगोर का उल्लेख करना, इस बात को सिद्ध करता है कि अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा बहुसंख्यक-साम्प्रयादिकता का प्रतीक नहीं बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता का स्मारक है। अमित जोगी ने लिखा है कि उन्हेंअत्यंत खेद है कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यागोपाल दासजी महाराज के निमंत्रण को वो अपनी माँ के स्वास्थ के कारण स्वीकार नहीं कर सके किन्तु उन्होंने अपनी शुभकामनाएँ भेज दी थीं। उन्होंने लिखा कि उनकी जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में किसी अन्य राजनेता को निमंत्रण नहीं दिया गया था। उस दिन उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुझाव के अनुसार रायपुर के राम मंदिर में पूजा अर्चना की।
अमित जोगी ने लिखा है कि 5000 साल पुरानी भारतीयता सभ्यता के गौतम बुद्ध, सम्राट अशोक, बादशाह अकबर और महात्मा गांधी के बाद पाँचवे “सुपर हीरो” प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जहां एक तरफ़ देश “राष्ट्रवाद”- जिसमें सभी वर्गों, विशेषकर अल्प-संख्यक, अति पिछड़ा, दलित और आदिवासी को सभी स्तरों पर मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है- के आधार पर ‘राजनीतिक एकध्रुवीयता’ की तरफ़ तेज़ी से बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ पंडित नेहरू के अंर्तराष्ट्रीयवाद को त्यागकर अपनी कुशल विदेश नीति- जिसमें अप्रवासी भारतीयों को अभूतपूर्व तरह से संगठित करके मोदीजी ने अमेरिका के बाद दुनिया की सबसे शक्तिशाली ताक़त का निर्माण किया है – तकनीकी और आर्थिक वर्चस्व के कारण भारत वैश्विक मंच पर विश्व गुरु बन चुका है। यही कारण है कि मुझ जैसे करोड़ों सेक्युलर-कांग्रेसी भी मोदीजी की नई भाजपा में ख़ुद को घर में पाते हैं।