
पेण्ड्रा।गौरेला।मरवाही (छग एमपी टाइम्स/22 मई 2024)
आज के दौर में स्कूल में छात्रों से श्रमदान कराने पर शिक्षकों के ऊपर केस दर्ज हो जाता है। वहीं अभिभावकों के गुस्से का भी सामना करना पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ 1960-65 के दशक में पेण्ड्रा के मल्टीपर्पस हायर सेकेण्डरी स्कूल के प्राचार्य के दिए प्रोजेक्ट को पूरा करने स्कूल के 500 से भी ज्यादा छात्रों ने अपनी मेहनत, लगन और बेजोड़ कारीगरी की मिशाल कायम करते हुए तीन साल में श्रमदान से अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्वीमिंग पूल तैयार कर दिया था।

छात्रों के श्रमदान से बनाया गया यह भारत देश का एकमात्र स्विमिंग पूल है, जो कि मेहनत, लगन और बेजोड़ कारीगरी की मिशाल है। छात्रों के श्रमदान से बनाया गया स्विमिंग पूल देश और दुनिया में पेण्ड्रा के अलावा कहीं और देखने को नहीं मिलेगा, इसलिए इस स्विमिंग पूल के गेट पर श्रमदानी छात्रों के सम्मान और याद में आज भी लिखा हुआ है “CONSTRUCTED UNDER CAMPUS WORK PROJECT”

यहां मार्च 2024 में राज्यस्तरीय प्रतियोगिता भी हो चुकी है। पूल बनाने वाले छात्रों का दावा है कि छात्रों के श्रमदान से बनाया गया यह पूल प्रदेश के साथ देशभर में इकलौता है। इसे बनाने में शासन का एक रुपए भी नहीं लगा, बल्कि स्कूल स्टाफ के साथ पेण्ड्रा के लाेगों ने इसमें सहयोग किया है। वर्तमान में इसका सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार होने के बाद पेण्ड्रा और आसपास के छात्र, बच्चे, युवक, युवतियां यहां तैराकी सीखने बड़ी संख्या में आते हैं।

दरअसल, 1960 से 65 के दशक में पेण्ड्रा के मल्टीपर्पस हायर सेकंडरी स्कूल के प्राचार्य डब्ल्यू पी कुर्चानिया रहे। उन्होंने बड़े शहरों में स्वीमिंग पूल देखा था। ऐसे में उनकी इच्छा थी कि उनके कैंपस में भी स्वीमिंग पूल की सुविधा हो जाए तो बच्चों की प्रतिभा में तैराकी का हुनर भी बढ़ जाएगा। उन्होंने शासन से सहयोग मांगा, लेकिन उन्हें आर्थिक मदद नहीं मिली। फिर क्या था, प्राचार्य ने स्वीमिंग पूल बनाने की सोच को साकार करने हर मुश्किल से लड़ने की ठान ली। जब शासन से उन्हें निराशा हाथ लगी तो बच्चों को हुनरमंद बनाने और अपनी सोच काे साकार करने उन्होंने अपने स्कूल के छात्रों को स्वीमिंग पूल बनाने का “कैंपस वर्क प्रोजेक्ट” दे दिया। छात्रों ने भी प्राचार्य के इस प्रोजेक्ट को पूरा करने ठान लिया और प्राचार्य के मार्गदर्शन में इसे पूरा करने में जुट गए। छात्रों ने स्कूल परिसर में ही ईंट भट्ठा बना स्वयं ईंट बनाई और स्वीमिंग पूल के लिए गड्ढा खोद डाला। इसके बाद प्राचार्य की अपील पर स्टाफ समेत पेण्ड्रा के लोगों ने आर्थिक मदद करनी शुरू की। इससे सीमेंट, छड़, गिट्टी, रेत समेत अन्य सामाग्री खरीदी गई। फिर प्राचार्य के निर्देशन में ढलाई कर 85 फीट लंबा और 40 फीट चौड़ा स्वीमिंग पूल तैयार किया गया। ईंट की जोड़ाई कर चारों ओर बाउंड्री बनाई गई और साथ ही भव्य प्रवेश द्वार भी बनाया गया। स्वीमिंग पूल में पानी भरने स्कूल के कुएं से पूल तक पाइपलाइन बिछाई गई और आउट गोइंग के लिए भी स्वीमिंग पूल में पाइप बिछाया गया। साथ ही स्टैण्डर्ड मापदण्ड का जंपिंग पाइंट भी बनाया। जंपिंग प्वाइंट के पास स्वीमिंग पूल की गहराई 15 फीट गहरी रखी, ताकि भविष्य में बड़ी प्रतियोगिता के दौरान इसका बड़े स्तर पर उपयोग किया जा सके। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से छात्रों ने अंतरराष्ट्रीय मापदंड का स्वीमिंग पूल बनाकर दिखा दिया, जो अपने आप में मिसाल बन गया, जिसका दूसरा उदाहरण प्रदेश समेत देशभर में शायद ही देखने को मिले।

इन छात्रों ने किया था श्रमदान
स्वीमिंग पूल बनाने श्रमदान करने वाले छात्रों में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, पूर्व मंत्री डॉ. भंवर सिंह पोर्ते, डॉ. सीताराम गोयनका, हरजीत सिंह कुकरेजा, राजकुमार गौतम, द्वारिका सोनी, शंकर केडिया, गोविंद सोनी, सरोज सालोमन, निर्मल सिंह सरदार, वीरेंद्र उपाध्याय, द्वारिका गुप्ता, देवदास मानिकपुरी, तुलसी जायसवाल, जगतपाल शर्मा, अबू बकस, नारायण दुबे सहित लगभग 500 छात्रों ने 3 साल श्रमदान किया था। उस समय के श्रमदानी छात्र दिनेश सिंह पवार ने बताया कि छात्रों के श्रमदान और शासन का एक रुपए लगे बिना देश का यह इकलौता पूल है।

जीर्णोद्धार के शिलान्यास में मुख्य अतिथि बनने का गौरव मुझे मिला: द्वारिका सोनी
रिटायर्ड शिक्षक द्वारिका प्रसाद सोनी स्विमिंग पूल बनाने के श्रमदानी छात्र रहे हैं। इन्होंने बताया कि इस ऐतिहासिक धरोहर के जीर्णोद्धार के लिए तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष अरुणा गणेश जायसवाल ने उन्हें मुख्य अतिथि बनने का गौरव दिया था। उन्होंने कहा कि इस स्विमिंग पूल के जीर्णोद्धार के बाद यहां तैराकी सीखते बच्चों को देखकर सुखद महसूस होता है। आगे उन्होंने कहा कि पूल बनाने की जद्दोजहद में हमने प्राचार्य के मार्गदर्शन में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिद थी। मन में उत्साह भी था कि हमारे द्वारा किया गया श्रमदान भविष्य में याद रखा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि देश में शायद ही ऐसा पूल बनाया गया हो जो छात्रों के श्रमदान, सरकार की बिना मदद और लोगों के सहयोग से बनाया गया हो।

स्विमिंग पूल बनाने गड्ढा खोदा और मिट्टी भी फेंकी: दिनेश पवार
अपने छात्र जीवन को याद कर रिटायर्ड शिक्षक दिनेश सिंह पवार का चेहरा खुशी से खिल उठा। वे बताते हैं कि उन्हें और उनके साथ पढ़ने वाले सभी छात्रों को स्विमिंग पूल बनाने का कैंपस वर्क प्रोजेक्ट प्राचार्य डब्ल्यूपी कुर्चानिया ने दिया था। इसे छात्रों ने मिलकर तीन साल में पूरा कर दिखा दिया। स्वीमिंग पूल बनाने उनके साथ पढ़ने वाले छात्रों ने गड्ढा खोदा और मिट्टी तक फेंकी। सुबह से लेकर शाम तक खूब पसीना बहाया। उस दौरान जूनून था कि समय से पहले इस प्रोजेक्ट को पूरा करना ही है। दिनेश सिंह ने बताया कि उनसे वरिष्ठ और कनिष्ठ सैकड़ों छात्रों ने स्विमिंग निर्माण में श्रमदान किया था। ऐसे जज्बे से तैयार किया गया ऐसा पूल शायद ही देश में हो।

35 साल तक बंद के कारण खंडहर में तब्दील हो गया था स्विमिंग पूल
जब तक डब्ल्यू पी. कुर्चानिया प्राचार्य थे, तब तक और उनके बाद कई वर्षों तक यह स्विमिंग पूल चलन में रहा, लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे मेंटेनेंस के अभाव में स्वीमिंग पूल से पानी का रिसाव होने लगा तो फिर शासन से आर्थिक सहयोग के अभाव में इसे बंद कर दिया गया। लगभग 35 साल तक बंद रहने से यह खंडहर में तब्दील हो गया था।

पूर्व नपं अध्यक्ष ने स्विमिंग पूल का जीणोद्धार करा नगरवासियों को सौंपा
स्विमिंग पूल के 35 वर्ष से बंद होने की जानकारी जब पेण्ड्रा नगर पंचायत अध्यक्ष अरुणा गणेश जायसवाल को मिली तो उन्होंने नगर की ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने का काम शुरू किया। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पहल से स्वीमिंग पूल के जीर्णोद्धार के लिए शासन से राशि लाया और इसका जीर्णोद्धार करा नगर वासियों को समर्पित कर दिया।
वर्तमान नपा अध्यक्ष ने वाटर फिल्टर प्लांट व शेड का निर्माण कराया
इसके बाद वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष राकेश जालान ने भी स्वीमिंग पूल के लिए शासन से आर्थिक सहयोग लेकर वाटर फिल्टर प्लांट व शेड का निर्माण कराया, जिससे अब रात दिन के अलावा बरसात में भी स्विमिंग पूल चालू रहता है। वहीं नगर पालिका अध्यक्ष राकेश जालान ने स्विमिंग पूल परिसर के सौंदर्यीकरण का काम भी कराकर बच्चों के लिए झूला इत्यादि लगवाया जिससे परिसर की सुंदरता बढ़ गई है।

35 साल तक बंद के कारण इस तरह खंडहर में तब्दील हो गया था स्विमिंग पूल, फिर जीर्णोद्धार के बाद बदली स्विमिंग पूल की तस्वीर
