रायपुर। (CG MP TIMES/28 अक्टूबर 2024) :
28 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरकार के केबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को पुनः शुरु करने का निर्णय लिया गया। इसमें जो महत्वपूर्ण जानकारी निकलकर आई है, उससे कांग्रेस पार्टी की फजीहत होनी है। फजीहत इसलिए होनी है कि, कांग्रेस के भूपेश बघेल सरकार ने चालाकी कर मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का नाम बदलकर तीरथ बरत योजना कर दिया था, परंतु 5 वर्ष में किसी को तीर्थ यात्रा नहीं कराया। जबकि भूपेश सरकार चाहती तो हजारों बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा करने का लाभ मिल जाता।
विष्णु देव साय केबिनेट ने घोषणा पत्र के अनुरूप राज्य में मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना प्रारंभ करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इस योजना के तहत राज्य के 60 वर्ष या अधिक आयु के व्यक्ति, दिव्यांगजन, विधवा, परित्यकता महिलाओं को उनके जीवनकाल में एक बार प्रदेश के बाहर स्थित चिंहिंत तीर्थ स्थानों में से एक या एक से अधिक स्थानों की निःशुल्क यात्रा कराई जाएगी। इसके लिए 2024-25 के प्रथम अनुपूरक में 25 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत वर्ष 2019 तक 2 लाख 47 हजार हितग्राहियों को 272 यात्राओं के माध्यम से तीर्थ यात्रा कराई गई है। वर्ष 2019 में इस योजना का नाम बदलकर तीरथ बरत योजना कर दिया गया था, परंतु वर्ष 2019 से वर्ष 2023 तक इस योजना के तहत तीर्थ यात्राएं नहीं हुईं। मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के नाम से इसे पुनः शुरू करने का निर्णय लिया है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना फैला हुआ था, लेकिन यदि भूपेश बघेल सरकार की बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा कराने की नीयत होती तो, वर्ष 2019 और वर्ष 2022 व 2023 में तीर्थ यात्रा करा सकती थी। लेकिन किसी भी बुजुर्ग को 5 साल में तीर्थ यात्रा नहीं कराने से स्पष्ट होता है कि भूपेश बघेल सरकार किसी भी बुजुर्ग को तीर्थ यात्रा नहीं कराना चाहती थी। यही कारण है कि ये आंकड़े सामने आने के बाद बहुसंख्यक आबादी के बीच कांग्रेस की फजीहत होनी तय है।