पेण्ड्रा (छ.ग. एम.पी. टाइम्स/23 दिसम्बर 2023) : छत्तीसगढ़ राज्य के 36 गढ़ों में से 7 गढ़ों का 3 दिवसीय सतगढ़ महासम्मेलन 23 दिसम्बर शनिवार से राजमहल परिसर पेण्ड्रा शुरू हुआ है, जो कि 25 दिसम्बर तक चलेगा। भारत देश की आजादी से पहले रियासत कालीन दौर में पेण्ड्रा जमींदारी 7 गढ़ों का मुख्यालय था। उसी समय से परम्परा के अनुसार प्रतिवर्ष सतगढ़ महासम्मेलन आयोजित किया जाता है जिसमें सातों गढ़ और उनसे जुड़े हुए राज परिवार के सदस्य शामिल हुआ करते हैं।
सतगढ़ महासम्मेलन का आगाज शनिवार को पेण्ड्रा में हुआ जो कि दिनांक 23 दिसम्बर से 25 दिसम्बर तक चलेगा। इस दौरान विभिन्न आयोजन भी होंगे जिसमें क्रिकेट, बॉलीबॉल, बैडमिंटन, कबड्डी, रिले रेस जैसे विभिन्न खेलों का आयोजन होगा। 3 दिवसीय कार्यक्रम में सम्मिलित होने कोरबा, चाम्पा, छुरी, उपरोड़ा, लाफागढ़, मातिन एवं करगी-केंदा जमींदारियों से प्रतिभागी पहुंचे हैं। साथ ही सभी 7 गढ़ से राज परिवार के सदस्यों का आगमन भी हो रहा है। कार्यक्रम का समापन 25 दिसम्बर की शाम को होगा। क्रिकेट के अलावा सभी खेल एवं मंचीय कार्यक्रम का आयोजन राजमहल गढ़ी परिसर पेण्ड्रा में सम्पन्न होगा। उक्त महासम्मेलन का आयोजन राजमहल पेण्ड्रा परिवार के द्वारा किया जा रहा है, जिसके संयोजक राजमाता सुशीला देवी सिंह एवं राजा उपेन्द्र बहादुर सिंह हैं।
कालांतर में बड़ी जमींदारी होने के कारण पेण्ड्रा सतगढ़ का मुख्यालय था
बता दें कि कालांतर में पेण्ड्रा बड़ी जमींदारी थी। सगे भाई दो योद्धा हिंदू सिंह और छिंदू सिंह तोमर की बहादुरी से प्रभावित होकर रतनपुर राजा ने 16 वीं शताब्दी में पेण्ड्रा जमींदारी की स्थापना करके दोनों योद्धाओं के माध्यम से पिंडरा वन क्षेत्र को पिंडारी लुटेरों के खौफ से मुक्त कराया था। दोनों योद्धाओं ने अपनी सेना के साथ सैकड़ों किलोमीटर के इस क्षेत्र से पिंडारी लुटेरों का सफाया कर दिया था। उसके बाद जमींदार का वंश बढ़ने के बाद इन्हीं के वंशजों ने मातिन, उपरोड़ा, केंदा-करगी जमींदारी की स्थापना की थी जो कि छत्तीसगढ़ में गढ़ की मान्यता भी मिली थी।