
रायपुर। (छग एमपी।टाइम्स/29 फरवरी 2024) :
छत्तीसगढ़ राज्य के कर्मचारियों को जल्द ही ईलाज के लिए मेडिकल कैशलेस की सुविधा सरकार के द्वारा दी जा सकती है। इसके लिए स्वास्थ मंत्रालय के द्वारा सभी विभागों से सहमति मांगी गई है, जिसपर विभागों द्वारा सहमति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दरअसल कैशलेश ईलाज की सुविधा लागू करने से पहले विभागों की सहमति इसलिए जरूरी है क्योंकि कर्मचारियों को प्रतिमाह वेतन के साथ चिकित्सा भत्ता भी दिया जाता है। यदि कैशलेस इलाज की सुविधा शासन द्वारा लागू की जाती है तो चिकित्सा भत्ता बंद किया जाएगा। कैशलेस की सुविधा लागू होते ही प्रदेश के 5 लाख कर्मचारी परिवारों को ईलाज के लिए बहुत बड़ी राहत मिल जायेगी।

गुरुवार 29 फरवरी को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने यह जानकारी छत्तीसगढ़ कैशलेस चिकित्सा सेवा कर्मचारी कल्याण संघ के प्रतिनिधि मंडल को दिया। दरअसल इस संबंध में संघ ने स्वास्थ मंत्री से मिलने का समय मांगा था, जिसके लिए स्वास्थ मंत्री ने गुरुवार की सुबह प्रतिनिधि मंडल को मिलने के लिए बुलाया था। प्रतिनिधि मंडल की आज की मुलाकात बहुत अच्छी और सार्थक रही।

प्रतिनिधि मंडल के समक्ष ही स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने स्वास्थ्य सचिव से इस संबंध में की गई कार्यवाही की जानकारी मांगी तो स्वास्थ सचिव ने बताया कि सभी विभागों से सहमति मिलने के बाद कर्मचारियों के ईलाज के लिए मेडिकल कैशलेस सुविधा लागू की जा सकती है। इसके लिए उन्होंने सभी विभागों से सहमति मांगी है।
प्रतिनिधि मंडल में मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ कैशलेस चिकित्सा सेवा कर्मचारी कल्याण संघ के संरक्षक राकेश सिंह, प्रदेश अध्यक्ष उषा चंद्राकर, कार्यकारी अध्यक्ष लिखेश वर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद सिंह, प्रदेश संयोजक पीयूष गुप्ता, दुर्ग संभाग अध्यक्ष मंजू उईके, मोहित जैन, नवल किशोर साहू, कमलेश टंडन, पंकज राठौर, देवप्रसाद साहू, बेदलाल साहू, धीरज तिवारी इत्यादि शामिल थे।
पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर से भी मिला प्रतिनिधि मंडल
मेडिकल कैशलेस की सुविधा कर्मचारियों को देने की मांग को लेकर प्रतिनिधि मंडल ने पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर से भी मुलाकात किया और उन्हें बताया कि कैशलेश सुविधा नहीं होने से किस तरह से कर्मचारियों को आर्थिक, मानसिक एवं स्वास्थ्यगत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रतिनिधि मंडल ने उन्हें यह भी बताया कि कैशलेस इलाज की सुविधा कर्मचारियों को दिए जाने से शासन के खजाने में अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा, बल्कि कर्मचारियों को इलाज की सुविधा मिलेगी, जिससे कि कर्मचारी शासन द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी निजी अस्पताल में अच्छे से अच्छा इलाज कर पाएंगे। प्रतिनिधि मंडल से चर्चा करने के बाद पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने मुख्यमंत्री, विधानसभाध्यक्ष और स्वास्थ मंत्री को पत्र लिखने का निर्देश अपने निज सहायक को दिया।