रायपुर (छग एमपी टाइम्स/12 मार्च 2024) :
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार कर्मचारियों का डीए 8% बढ़ा सकती है, जिसका प्रमुख कारण यह है कि डीए आज नहीं तो कल देना ही पड़ेगा, तो उसे लोकसभा चुनाव के पहले देकर राजनीतिक रुप से भी भाजपा भुना सकती है क्योंकि डीए के मामले में कर्मचारियों का विश्वास खोने के कारण ही पूर्ववर्ती भूपेश सरकार का पतन हुआ था, इसलिए विष्णु देव साय सरकार डीए के मामले में कर्मचारियों का विश्वास नहीं खोना चाहेगी। यूपी सरकार ने कर्मचारियों का डीए 50% कर दिया है जबकि वहां “मोदी की गारंटी” जैसा कोई वायदा नहीं किया गया था जबकि छत्तीसगढ़ में “मोदी की गारंटी” पर फिलहाल प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। आने वाला लोकसभा चुनाव भाजपा मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के नाम पर लड़ने वाली है, इसलिए “मोदी की गारंटी” यदि लागू नहीं हुई तो फिर भाजपा किस मुंह से कर्मचारी परिवारों का वोट मांगेगी और कर्मचारी परिवार भी मोदी के नाम पर क्यों वोट देंगे ?
गौरतलब है कि 3 माह के भाजपा सरकार में अब तक कर्मचारियों और पेंशनर्स को एक शब्द आश्वासन भी सरकार ने नहीं दिया है इसलिए कर्मचारी मामलों में सरकार की खामोशी से कर्मचारी जगत के साथ ही समस्त पेंशनर्स में से वो पेंशनर्स भी चिंचित हैं जिन पेंशनर्स के पढ़ाए हुए विद्यार्थी अब सरकार में हैं।
“मोदी की गारंटी” थी कि केन्द्रीय कर्मचारियों के समान देय तिथि से डीए दिया जाएगा। साथ ही डीए का एरियर्स राशि भविष्य निधि खाते में जमा किया जाएगा और 100 दिनों के अंदर समस्त विभागों के कर्मचारियों की समस्या के निराकरण के लिए समस्त कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों की सरकार के प्रतिनिधि के साथ कमेटी गठित कर समस्याओं को निराकृत किया जाएगा लेकिन 3 माह में डीए जैसे अधिकार के लिए ही कर्मचारियों को तड़पा दिया गया है तो फिर कमेटी का गठन दूर की कौड़ी दिख रही है।
डीए के लिए कर्मचारी संगठन प्रदर्शन कर अपनी मांग और नाराजगी से अवगत करा चुके हैं
डीए के लिए राज्य के कर्मचारी संगठन विरोध प्रदर्शन कर सरकार को अपनी मांग और नाराजगी से अवगत करा चुके हैं। राज्य में समस्त विभागों के कर्मचारियों के महासंगठन कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा ने 6 मार्च और कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने 23 फरवरी को विरोध प्रदर्शन कर शासन को ज्ञापन देकर डीए के सम्बंध में अपनी मांग और नाराजगी दोनों को ही प्रकट कर दिया है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि कर्मचारियों और पेंशनर्स को नाराज रखकर चुनाव मैदान में उतरने की वो गलती भाजपा नहीं करेगी, जो गलती कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार की थी।
डॉ. रमन सिंह के 15 साल के सरकार में डीए की समस्या कभी नहीं हुई थी कर्मचारियों को
बता दें कि डीए के मामले में राज्य के कर्मचारी और पेंशनर्स डॉ. रमन सिंह के 15 साल के सरकार के कार्यकाल को याद किया करते हैं, क्योंकि डॉ. रमन सिंह के 15 साल के सरकार में डीए की समस्या कर्मचारियों को कभी नहीं हुई थी और न ही एरियर्स की समस्या का सामना कर्मचारियों को करना पड़ा था। डीए की जो भी समस्या छत्तीसगढ़ राज्य के कर्मचारी और पेंशनर्स भुगत रहे हैं, उस समस्या को भूपेश बघेल सरकार के द्वारा पैदा किया गया था। इसलिए राज्य के कर्मचारी डीए के मामले में डॉ. रमन सिंह के सरकार के जैसी ही कार्यप्रणाली विष्णु देव साय सरकार में देखना चाहते हैं।