
रायपुर (छग एमपी टाइम्स/14 जून 2024) :
छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों के मंहगाई भत्ता के मामले में विधानसभा चुनाव में दिया गया “मोदी की गारंटी” फेल होते हुए दिख रहा है। जुलाई 2023 का डीए मार्च से देने के कारण विष्णुदेव साय सरकार ने कर्मचारियों का 8 माह का एरियर्स राशि दबाकर मोदी की गारंटी पर पहले ही बट्टा लगा दिया था। डीए पर अब जारी हो रहे आदेशों को देखा जाए तो फिर “मोदी की गारंटी” पर बट्टे पर बट्टा लगता दिख रहा है।
छत्तीसगढ़ में ताजा उदाहरण 10 जून की तारीख में जारी किया गया डीए बढ़ाने का आदेश है, जो कि 13 जून को सार्वजनिक किया गया है। इस आदेश के तहत राज्य के भारतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग के अधिकारियों आईएएस, आईपीएस, आईएफएस इत्यादि भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को 1 जनवरी 2024 से 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा। इससे पहले प्रदेश में इन अधिकारियों को 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता देय तिथि से मिल रहा था, लेकिन अब उनके महंगाई भत्ता में केंद्र के समान 4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी गयी है। अब उन्हें भी देय तिथि 1 जनवरी 2024 से 50 प्रतिशत डीए मिलेगा। अधिकारियों को 1 जनवरी 2024 से महंगाई भत्ता का एरियर्स नकद भुगतान किया जायेगा।
इस आदेश को पढ़कर कर्मचारियों और पेंशनरों में निराशा है और साथ ही गुस्सा भी पनप रहा है। क्योंकि पिछले 5 वर्षों से कर्मचारियों को देय तिथि से डीए नहीं दिया गया है जिससे कर्मचारियों के लाखों रुपए सरकार के पास अटक गए हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष सांसद विजय बघेल ने कर्मचारियों से मोदी की गारंटी के तहत वायदा किया था कि भाजपा सरकार आते ही कर्मचारियों का लंबित एरियर्स राशि उनके जीपीएफ खाते में समायोजित किया जाएगा और भाजपा सरकार में देय तिथि से डीए दिया जाएगा। लेकिन अब तक डीए मामले में मोदी की गारंटी फेल साबित हो रही है। क्योंकि 1 जुलाई 2023 से बकाया 4% डीए का 8 माह का एरियर्स विष्णुदेव साय सरकार ने मार्च 2024 में रोक लिया था। वहीं 1 जनवरी 2024 से मिलने वाले डीए का आदेश कर्मचारियों के लिए अब तक जारी नहीं किया गया, जबकि भारतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग के अधिकारियों के लिए देय तिथि से डीए भुगतान का आदेश जारी कर दिया गया है।
ऐसे में अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या विष्णुदेव साय की सरकार अब वही गलती कर रही है, जिस गलती के कारण ही कर्मचारी भूपेश सरकार से नाराज थे, जिससे भूपेश सरकार का पतन हो गया था। कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि विष्णुदेव की सरकार भूपेश सरकार की तरह ही भेदभाव की नीति अपनाकर एक ओर अखिल भारतीय सेवा के अफसरों का डीए बढ़ा रही है वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों की उपेक्षा कर रही है जिससे कर्मचारियों और पेंशनरों में असंतोष पनप रहा है। यदि भूपेश सरकार की तरह विष्णुदेव सरकार ने भी डीए को रोका और एरियर्स राशि को दबाया तो निश्चित तौर पर सरकार को कर्मचारियों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा।