छत्तीसगढ़ की सीमा के करीब एमपी में बाघ ने भैंस का शिकार कर दो दिनों से जमाया डेरा…,अमरकंटक वन परिक्षेत्र के मेढ़ाखार की घटना…,बाघ छत्तीसगढ़ के एटीआर का हो सकता है क्योंकि घटना स्थल जंगल से जुड़ा हुआ है…,वन एवं पुलिस विभाग कर रहा निगरानी, ग्रामीणों की भीड़ को नियंत्रित करने में करनी पड़ रही मशक्कत…
पेण्ड्रा।अमरकंटक (CG MP TIMES/03 दिसम्बर 2024) :
अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ तहसील अंतर्गत वन परिक्षेत्र अमरकंटक के ग्राम पंचायत लपटी में स्थित मेढ़ाखार गांव में कंपार्टमेंट नंबर 251-252 के बीच विगत दो दिनों से टाइगर (बाघ) डेरा जमाए हुए है, जो शिकार किये गये भैंस के मांस को कुछ-कुछ देर में आकर खा रहा है। बाघ के निरंतर विचरण पर वनविभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ पुलिस विभाग एवं राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी बाघ की निगरानी करते हुए ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। इस दौरान बाघ की गतिविधियों पर निगरानी रखे जाने हेतु ट्रेप कैमरे भी जगह-जगह लगा दिए गए हैं।
बता दें कि 01 दिसंबर की मध्य रात एक बाघ को वन परिक्षेत्र अमरकंटक एवं पुष्पराजगढ़ तहसील के दोनिया-बिजौरी गांव के बीच कुछ राहगीरों ने देखा, जिसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल होने पर वनविभाग के अधिकारी कर्मचारी रात भर गस्ती कर निगरानी कर रहे थे। तभी सोमवार की सुबह ग्राम पंचायत लपटी के मेढ़ाखार गांव में बीच बस्ती में ईश्वर नायक की 03 वर्ष की भैंस पर हमला कर भैंस को मृत करने के बाद उसके पीछे के हिस्से का मांस खाया और दिन होने पर तथा ग्रामीणों की भीड़ के कारण बाघ कुछ दूर पर जंगल में लेन्टाना की झाड़ियो में पूरे दिन विश्राम करने के बाद शाम 4 बजे अपनी भूख मिटाने के लिए फिर से मृत भैंस के शव के पास जा रहा था। तभी ग्रामीणों के हो-हल्ला करने पर वह फिर से वह लेंटाना की झाड़ियो में चला गया। देर रात होने पर वह फिर से मृत भैंस की शव के पास आकर उसके मांस को रात में खाता रहा।
मंगलवार की सुबह होने पर बाघ फिर से लेंटाना की झाड़ियां के बीच पूरा दिन बिताने के बाद शाम 4 बजते ही निकल कर मृत भैंस के शव के पास जो अरहर की झाड़ियो के बीच पड़ा हुआ है के पास पहुंचा।
बाघ के निरंतर विचरण पर वनविभाग, पुलिस विभाग तथा राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी निरंतर निगरानी कर रहे हैं। वहीं देर शाम पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को ने भी मेढ़ाखार पहुंचकर बाघ के विचरण क्षेत्र का भ्रमण करते हुए स्थल का निरीक्षण किया तथा ग्रामीणों को बाघ से दूरी बनाए रखने स्वयं तथा अन्य लोगों को सुरक्षित रखने रात्रि समय अकेले ना घूमने की सलाह दी।
इस दौरान मुख्य वन संरक्षक शहडोल वृत अजय कुमार पांडेय ने भी क्षेत्र के नागरिकों को वन्यप्राणी बाघ के विचरण क्षेत्र से दूरी बनाए रखने तथा वनविभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को निरंतर सतत निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं।
मेढ़ाखार में दिख रहा बाघ संभवतः अचानकमार टाइगर रिजर्व एरिया का
अमरकंटक वन परिक्षेत्र के मेढ़ाखार गांव में जिस बाघ ने डेरा जमाया हुआ है, वह बाघ संभवतः अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) एरिया से गया होगा। एटीआर के रंजकी गांव के आसपास आए दिन बाघ के द्वारा मवेशियों का शिकार करने की घटना सामने आती रहती है। रंजकी से मेढ़ाखार जंगल के रास्ते से दूरी लगभग 20 किलोमीटर है, लेकिन मेढ़ाखार तक जंगल जुटा हुआ है। इसलिए बाघ छत्तीसगढ़ के एटीआर का हो सकता है।
शाम होते ही बाघ झाड़ियों से निकलकर शिकार खाने आता है – रेंजर
इस सम्बन्ध में अमरकंटक के रेंजर वीके श्रीवास्तव ने बताया कि शाम होते ही बाघ झाड़ियों से निकलकर शिकार किए गए भैंस को खाने के लिए आ जाता है। उन्होंने बताया कि वन, पुलिस, राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी सभी बाघ की गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने ग्रामीणों से भी सतर्कता बरतने की अपील की है। उन्होंने बताया कि बाघ संभवतः अचानकमार टाइगर रिजर्व एरिया से मेढ़ाखार आया है।