
रायपुर।जीपीएम (CG MP TIMES/24 अगस्त 2024) :
राजधानी रायपुर के रामकृष्ण केयर अस्पताल में डॉ. संदीप दवे मेडिकल एवं मैनेजिंग डायरेक्टर के नेतृत्व में मंडला के 11 वर्षीय बच्चे का पहला पीडियाट्रिक कैडेवर लीवर प्रत्यारोपण किया गया। अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और अपनी नियमित दिनचर्या का जीवन-यापन कर रहा है।
बच्चा 06 वर्षों से लिवर सिरोसिस नामक बीमारी से ग्रसित था। बच्चे को पीलिया बना रहता था, पेट में पानी भर रहा था और बच्चा दिन-प्रतिदिन कमजोर होता चला जा रहा था। इसके लिए उसे लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी, जिसकी जानकारी डॉक्टर ने उनके परिजन को दी थी, परंतु परिवार में कोई भी डोनर उपलब्ध न होने की वजह से लिवर प्रत्यारोपण नहीं हो पा रहा था, जिसकी वजह से लिवर के इलाज के लिए परिजन कई बड़े शहरों में भटक रहे थे। रामकृष्ण केयर अस्पताल में 2 महीने से बच्चे का इलाज किया जा रहा था और मरीज ने कैडावेरिक लिवर प्रत्यारोपण के लिए सोटो छत्तीसगढ़ की वेटिंग लिस्ट में अपना नाम पंजीयन कराया था।
छत्तीसगढ़ में एक मरीज ब्रेनडेड घोषित हुआ, जिसके परिजनों ने मरीज के अंगदान करने की इच्छा जाहिर कर अंगदान करने के लिए सहमति प्रदान की. इसकी सूचना अस्पताल प्रशासन ने सोटो छत्तीसगढ़ को दिया। बच्चे के परिजन को जानकारी दी गई। खास बात यह है कि बच्चे को जो लिवर लगाया गया वह बड़े उम्र के मरीज का पूरा लिवर था। बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है और अपनी नियमित दिनचर्या का जीवन-यापन कर पा रहा है।
डाॅ. संदीप दवे मेडिकल एवं मैनेजिंग डायरेक्टर के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में मरीज का लिवर प्रत्यारोपण किया गया। इसके लिए मरीज ने विशेष धन्यवाद दिया। बच्चे के इलाज में डॉ. एसएन मढ़रिया का योगदान रहा, जिसकी वजह से मरीज को लिवर मिल सका और मरीज आज पूरी तरह से स्वस्थ है।
रामकृष्ण केयर अस्पताल के डाॅक्टर्स की लिवर प्रत्यारोपण की टीम में डाॅ. मो. अब्दुन नईम, डाॅ. अजीत मिश्रा, डाॅ. युक्तांश पांडे, डाॅ. राजकुमार, डाॅ. धीरज प्रेमचंदानी, डाॅ. पारधासार्दी मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलाॅजी टीम -डाॅ. संदीप पांडे, डाॅ. ललित निहाल, क्रिटिकल केयर – डाॅ. विशाल कुमार, आपातकालीन एवं ट्रामा विभाग – डाॅ. संतोष सिंह, शिशु एवं बाल्य रोग विभाग- डाॅ. पवन जैन, एवं एनेस्थिसिया विभाग – डाॅ. सर्वेश लाल तथा ओटी, नर्सिंग एवं प्रत्यारोपण सहायक टीम शामिल थे।

पेण्ड्रारोड के सामाजिक कार्यकर्ता मथुरा सोनी के दृढ़ संकल्प से छत्तीसगढ़ राज्य में ब्रेन डेड व कैडेवर अंग प्रत्यारोपण योजना शुरू हुई
जोश, जज्बा, जुनून, धैर्य और मजबूत इरादों के साथ जो सक्सेस मंत्र को लेकर चलते हैं उन्हें मंजिल अवश्य मिल जाती है। अपने नगर गौरेला में डायलिसिस मशीन की स्थापना का स्वप्न और राजधानी रायपुर के अस्पतालों में ब्रेन डेड व केडेवर प्रत्यारोपण का वर्ष 2017 से अभियान चलाने वाले पेंड्रारोड नगर के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मथुरा प्रसाद सोनी ने केंद्र व राज्य सरकार के साथ कई बार व्यापक स्तर पर पत्राचार किए। उनके कई पत्रों का उत्तर भी राज्य सरकार व केंद्र सरकार ने दिया है। वर्ष 2012 से उनकी पत्नी स्व सुमन सोनी जब किडनी रोग से ग्रसित हुई और उनका इलाज उन्होंने बिलासपुर, रायपुर, नागपुर, हैदराबाद, नाडियाड गुजरात व मुंबई के जसलोक अस्पताल में कराया तब भी कोई विशेष लाभ नहीं मिला। अंततः उनकी पत्नी को डायलिसिस मशीन पर 8 वर्षों तक रायपुर के एमएमआई अस्पताल में रहना पड़ा और इस अवधि में उन्होंने रायपुर के अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर नेफ्रोलॉजिस्ट चिकित्सक डॉक्टर सुनील धर्मानी के देखरेख में इलाज कराया। उन दिनों छत्तीसगढ़ में कैडेवर व ब्रेनडेड अंग प्रत्यारोपण की कोई सुविधा नहीं थी। किंतु दूसरे कुछ राज्यों में यह योजना संचालित होती थी।
छत्तीसगढ़ राज्य में इस योजना को लागू कराने के लिए मथुरा सोनी ने राज्य व केंद्र शासन का ध्यान कई बार पत्राचार के माध्यम से आकर्षित कराया, पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है।
किंतु भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एवं कोटा विधानसभा क्षेत्र की तत्कालीन विधायक डॉक्टर रेणु जोगी ने उनके पत्राचार को देखा भी और सुना भी। उन्होंने मथुरा सोनी के द्वारा किए गए पत्राचार को देखा समझा और सारे पत्रों की एक कॉपी लेकर प्रदेश के उस समय के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और उस समय के स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर का ध्यान इस महत्वपूर्ण योजना की ओर आकृष्ट कराया।

इसके बाद मथुरा सोनी को 1 मार्च 2018 को छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य संचालक चंद्राकर का एक शासकीय पत्र रायपुर से प्राप्त हुआ। जिसमें लिखा था कि भारत सरकार का अंग प्रत्यारोपण अधिनियम छत्तीसगढ़ विधानसभा के द्वारा अंगीकृत किया जा चुका है, आपको सूचनार्थ प्रेषित।
इस बीच उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली से व देश में अंग प्रत्यारोपण योजना की अनुमति देने वाली संस्था राष्ट्रीय अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण संगठन नई दिल्ली जिसे National Organ & Tissue Transpalant Organisation (NOTTO) कहते हैं से प्राप्त हुआ।

इस बीच कोविड-19 संक्रमण के कारण मथुरा सोनी की पत्नी की मृत्यु दिनांक 12 सितंबर 2020 को हो गई। किंतु उन्होंने अपने संकल्प को साथ लेकर लगातार पत्राचार करते रहे। उन्होंने पेंड्रारोड के जिला अस्पताल में डायलिसिस मशीन की स्थापना वह ब्रेन डेड व कैडेवर अंग प्रत्यारोपण की आस छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में किया जाने की आशा नहीं छोड़ी और अपना प्रयास जारी रखा। इसका परिणाम यह हुआ की पेंड्रारोड में वर्ष 2021 में डायलिसिस मशीन का संचालन जिला अस्पताल में प्रारंभ हो गया जिससे प्रतिदिन मरीजों का डायलिसिस होता है। इसके साथ ही नवंबर 2022 में रायपुर स्थित रामकृष्ण केयर अस्पताल में ब्रेनडेड और कैडेवर अंगों के द्वारा चार लोगों को किडनी मिली और दो लोगों का लीवर का सफलतम प्रत्यारोपण राजधानी के कुशल चिकित्सकों के द्वारा किया गया। जिससे किडनी व लीवर पीड़ित मरीज को जीवनदान मिला। यह निश्चय ही अत्यंत स्तुत्य व अभिनंदनीय कार्य है।

इस पूरे योजना में डायलिसिस मशीन पेंड्रारोड में लगाने से लेकर रायपुर के अस्पतालों में ब्रेनडेड और अंग प्रत्यारोपण के द्वारा किया जा रहा है, वह प्रदेश के लिए बहुत बड़ी बात है। हो सकता है कुछ और लोगों ने भी प्रयास किया होगा किंतु इस राज्य में 2018 के पहले अधिनियम ना बनने के कारण कई मरीज काल के गाल में समा गए। किंतु वर्तमान में इस योजना के तहत मरीजों को लाभ मिल रहा है। मथुरा सोनी को इन दोनों कार्यों के अभियान में कोटा विधानसभा क्षेत्र की तत्कालीन विधायिका डॉ रेणु जोगी, पेंड्रारोड के पूर्व पत्रकार स्वर्गीय मुरारी लाल अग्रवाल, जिला बनने के बाद पेंड्रारोड के तत्कालीन कलेक्टर डोमन सिंह, तत्कालीन कलेक्टर नम्रता गांधी, स्वास्थ्य सेवा के संयुक्त संचालक छत्तीसगढ़ शासन डॉक्टर सुभाष मिश्रा का समय-समय पर सहयोग, मार्गदर्शन, संबल मिला जिसके चलते आज पेंड्रारोड के जिला अस्पताल में डायलिसिस मशीन का संचालन हो रहा है और प्रदेश स्तर पर राजधानी रायपुर के अस्पतालों में ब्रैन डेड व कैडेवर अंग प्रत्यारोपण प्रारंभ हो सका। इस अभियान में मथुरा सोनी का जिन लोगों ने भी सहयोग किया, उन सभी के प्रति उन्होंने हृदय से आभार जताया है।