छत्तीसगढ़ : कर्मचारियों को 8% डीए एरियर्स राशि सहित दे सकती है भाजपा सरकार…?केन्द्र से डीए के घोषणा का इंतजार कर रही थी राज्य सरकार…?महिला, किसान के बाद सबसे बडे़ वर्ग कर्मचारियों को संतुष्ट कर लोकसभा चुनाव की तैयारी पुख्ता करेगी सरकार…?डीए नहीं दिया तो “मोदी की गारंटी” पर गंभीर प्रश्नचिन्ह के साथ चुनावी मैदान में उतरना पड़ेगा भाजपा को…!

रायपुर (छग एमपी टाइम्स/09 मार्च 2024) : 
लोकसभा चुनाव की तैयारी को पुख्ता करने के लिए छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार राज्य के कर्मचारियों को केन्द्र के समान 50% मंहगाई भत्ता दे सकती है ! सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इस संबंध में राज्य सरकार केन्द्र सरकार के डीए घोषित करने का इंतजार कर रही थी।

केन्द्रीय कर्मचारियों के बराबर राज्य में 50% डीए पहुंचाने के लिए 8% डीए बढ़ाना पड़ेगा, जिसे भाजपा सरकार एरियर्स राशि सहित दे सकती है। राज्य सरकार को इस बात अच्छे से आभास है कि डीए की घोषणा नहीं होने से 5 लाख कर्मचारी और 1 लाख से अधिक पेंशनर्स में असंतोष व्याप्त है। क्योंकि केन्द्र के बराबर डीए देने के लिए विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र को भाजपा ने “मोदी की गारंटी” बताया था। यदि लोकसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले डीए नहीं बढ़ाया जाता है तो “मोदी की गारंटी” पर प्रश्नचिन्ह लग जायेगा। इसलिए भाजपा सरकार महिला और किसान के बाद सबसे बडे़ वर्ग कर्मचारियों को संतुष्ट कर लोकसभा चुनाव की तैयारी पुख्ता कर सकती है।

डीए के लिए कर्मचारी संगठन प्रदर्शन कर अपनी मांग और नाराजगी से अवगत करा चुके हैं
डीए के लिए राज्य के कर्मचारी संगठन विरोध प्रदर्शन कर सरकार को अपनी मांग और नाराजगी से अवगत करा चुके हैं। राज्य में समस्त विभागों के कर्मचारियों के महासंगठन कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा ने 6 मार्च और कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने 23 फरवरी को विरोध प्रदर्शन कर शासन को ज्ञापन देकर डीए के सम्बंध में अपनी मांग और नाराजगी दोनों को ही प्रकट कर दिया है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि कर्मचारियों और पेंशनर्स को नाराज रखकर चुनाव मैदान में उतरने की वो गलती भाजपा नहीं करेगी, जो गलती कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार की थी।

डॉ. रमन सिंह के 15 साल के सरकार में डीए की समस्या कभी नहीं हुई थी कर्मचारियों को
बता दें कि डीए के मामले में राज्य के कर्मचारी और पेंशनर्स डॉ. रमन सिंह के 15 साल के सरकार के कार्यकाल को याद किया करते हैं, क्योंकि डॉ. रमन सिंह के 15 साल के सरकार में डीए की समस्या कर्मचारियों को कभी नहीं हुई थी और न ही एरियर्स की समस्या का सामना कर्मचारियों को करना पड़ा था। डीए की जो भी समस्या छत्तीसगढ़ राज्य के कर्मचारी और पेंशनर्स भुगत रहे हैं, उस समस्या को भूपेश बघेल सरकार के द्वारा पैदा किया गया था। इसलिए राज्य के कर्मचारी डीए के मामले में डॉ. रमन सिंह के सरकार के जैसी ही कार्यप्रणाली विष्णु देव साय सरकार में देखना चाहते हैं।