गौरेला ब्लाक के मिडिल स्कूल हर्राटोला में शनिवार बैगलेश डे में समग्र शिक्षा के तहत बच्चों से इको क्लब की गतिविधियां कराई गईं…,बच्चों ने 10 मिनट श्रमदान कर स्कूल जाने के रास्ते में पड़ने वाले गड्ढे में मिट्टी डाला…, समग्र शिक्षा का सर्वोपरि उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है…

गौरेला।पेण्ड्रा।मरवाही (छग एमपी टाइम्स/10 मार्च 2024) :
शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार स्कूलों में समग्र शिक्षा के तहत इको क्लब का गठन किया गया है जिसका उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है। समग्र शिक्षा की परिकल्पना है कि स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा ऐसी होनी चाहिए कि शिक्षार्थी अपनी प्रतिभा को पूरी क्षमता से विकसित कर सकें। इसके तहत बच्चे और युवा शिक्षा के साथ ही जीवन कौशल हासिल करेंगे।

इसी के तहत छत्तीसगढ़ के स्कूलों में शनिवार को बैगलेश डे होता है। इस दिन बच्चे बगैर बस्ता लिए स्कूल आते हैं और योगा शिक्षा, व्यायाम, पेंटिंग, हस्तकला इत्यादि एवं इको क्लब सम्बंधी गतिविधियों में भाग लेते हैं।

इसी के तहत गौरेला ब्लाक के मिडिल स्कूल हर्राटोला में शनिवार 09 मार्च को संचालित युवा एवं इको क्लब को सक्रिय रखते हुए प्रधान पाठक की अनुमति से इको क्लब प्रभारी शिक्षक शमीम बानो खान के मार्गदर्शन में शनिवार बैग लेस डे के तहत स्कूल में अन्य गतिविधियों में भाग लेने के साथ ही बच्चों की सहमति से 9:30 बजे समाज में जागरूकता लाने के उद्देश्य से बच्चों द्वारा 10 मिनट का श्रमदान करते हुए स्कूल जाने वाले रास्ते में पड़ने वाले गड्ढे में मिट्टी डलवाने का कार्य करवाया गया। इको क्लब के बच्चों के इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में तथा छात्रों में जागरूकता लाना था

बता दें कि कार्यालय कलेक्टर एवं जिला मिशन संचालक, समग्र शिक्षा जिला बिलासपुर छ.ग. ने पत्र क्रमांक/1123/एसएस/एसई/पेडालाजी/2023-24 एवं पत्र क्रमांक/6153/एसएस/पेडालाजी/वाईईसी/2024 के अनुसार राज्य में स्कूलों में संचालित युवा एवं इको क्लब को सक्रिय रखने का निर्देश जारी किया गया है।

इको क्लब के उद्देश्य :-
शिक्षा का सर्वोपरि उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास है। समाज में शहरीकरण, तकनीकी प्रगति और जनसंचार माध्यमों के प्रभाव जैसे बदलावों के कारण यह आवश्यकता पैदा हुई है कि स्कूलों को न केवल अपने छात्रों के संज्ञानात्मक विकास का पोषण करना चाहिए, बल्कि उनकी भावात्मक और मनो-मोटर क्षमताओं को भी बढ़ावा देना चाहिए जो उन्हें सक्षम बनाएगा। ज़िंदगी।

समग्र शिक्षा की परिकल्पना है कि स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा ऐसी होनी चाहिए कि शिक्षार्थी अपनी प्रतिभा को पूरी क्षमता से विकसित कर सकें। शैक्षिक और सह-शैक्षिक दोनों क्षमताओं को समान महत्व देने से, बच्चे और युवा जीवन कौशल हासिल करेंगे जो उन्हें अपने अधिकारों को जानने, अपनी चिंताओं को स्पष्ट करने, आत्मसम्मान का निर्माण करने, आत्मविश्वास और लचीलापन विकसित करने और नकारात्मक भावनाओं का मुकाबला करने में मदद करेगा। तनाव, शर्म और डर, इससे उनकी स्वयं की जिम्मेदारी लेने, समाज में दूसरों के साथ संबंध बनाने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की क्षमता भी बढ़ेगी। इन कौशलों को सैद्धांतिक दृष्टिकोण के बजाय अनुभवात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है।