पेण्ड्रा (छग एमपी टाइम्स/28 दिसम्बर 2023) : छत्तीसगढ़ में जनता ने कांग्रेस का शासन बदलकर भले ही भाजपा का शासन ला दिया, लेकिन भ्रष्ट अधिकारी अब भी अपने पद पर जमे हुए हैं और धान खरीदी में जमकर भ्रष्टाचार का खेल खेल रहे हैं।
गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले में विपणन संघ के शह पर पतले धान को मोटा धान बताकर खरीदी करके राइस मिलर्स को करोड़ों रुपए का लाभ अवैध तरीके से पहुंचाया जा रहा है। इस अवैध काम में धान खरीदी केन्द्र प्रभारी, डीएमओ और राइस मिलर्स की सेटिंग इतनी जबरदस्त है कि जिले में अब तक 98.68% धान को मोटा धान बताकर खरीदी किया गया है। ताज्जुब वाले आंकड़े हैं कि जिले में 26 दिसंबर तक की स्थिति में 4,56,052 क्विंटल धान मोटे किस्म में और मात्र 6,040 क्विंटल धान पतले किस्म में खरीदे गए हैं, जबकि 80% से ज्यादा पतले किस्म का धान किसान बेचते हैं
जबकि इस घालमेल पर जिले के नोडल अधिकारी ने भी चिंता जताते हुए पतले धान को मोटा बताने पर आपत्ति जताते हुए सभी खरीदी केन्द्र प्रभारी को पत्र लिखा है कि जब जिले में किसानों को बोनी के लिए सहकारी समितियों के माध्यम से पतले किस्म 1010 धान बीज की बिक्री 4270 क्विंटल किया गया है। उसके अलावा किसान अन्य माध्यम से भी बड़ी मात्रा में पतले किस्म का धान बोते हैं लेकिन खरीदी केन्द्र में सिर्फ 1% पतले धान की खरीदी दर्ज है और 99% मोटे धान की खरीदी दर्ज की गई है, जिसको लेकर किसानों के द्वारा भी शिकायत किया जा रहा है। नोडल अधिकारी ने खरीदी प्रभारियों को निर्देशित किया गया है कि पतले धान को पतले में ही दर्ज करें परंतु उनके निर्देश का कोई असर नहीं पड़ा है क्योंकि भ्रष्ट तंत्र किसी की नहीं सुन रहे हैं।
भाजपा सरकार बनने के बावजूद भ्रष्ट अधिकारी ही हावी हैं, पतले- मोटे धान में 20 रूपये के अंतर के कारण करोड़ों रुपए का घालमेल कर रहे
नई सरकार प्रदेश में भाजपा की बन चुकी है लेकिन फिर भी विपणन संघ के अधिकारी कांग्रेस के समय में जिस तरह से बदस्तूर तरीके से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया करते थे, वही तरीका इनका अब भी लगातार जारी है भ्रष्ट अधिकारी का हौसला इतना बढ़ा हुआ है कि आंख में धूल झोंक कर पतले धान को मोटा बता रहे हैं। मोटा और पतला धान में 20 किलो का अंतर है। विपणन संघ से मिलीभगत कर राइस मिलर्स पतले धान का मोटे धान के नाम से उठाव करके अच्छी क्वालिटी के पतले धान को बाजार में बेच देते हैं और उसके बदले में मोटे धान की मिलिंग करके चावल जमाकर करोड़ों रुपए का घालमेल कर रहे हैं।