





रायपुर (छग एमपी टाइम्स/03 मार्च 2024) :
कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा बनाई जा रही रणनीति के तहत छत्तीसगढ़ सहित सभी राज्यों से कांग्रेस अपने सभी क्षत्रपों को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी घोषित कर सकती है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की नीति है कि अब उसे ही बड़ा नेता माना जाएगा जो लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचेगा, क्योंकि वर्तमान माहौल में कांग्रेस महसूस कर रही है कि उसे प्रचार के लिए अब स्टार प्रचारकों की नहीं है, बल्कि स्टार प्रत्याशियों की जरूरत है, जो सिर्फ अपने लोकसभा क्षेत्र में ही अपना स्वयं का प्रचार कर जीत हासिल कर सके।
कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व यदि अपनी इसी रणनीति पर चला तो पूर्व सीएम भूपेश बघेल को दुर्ग या रायपुर से चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। चूंकि भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेता की छवि बनाई है और वो कुर्मी समाज से ताल्लुक रखते हैं इसलिए कुर्मी बाहुल्य रायपुर लोकसभा से या उनके विधानसभा क्षेत्र को देखते हुए उन्हें दुर्ग लोकसभा से प्रत्याशी बनाने की ज्यादा संभावना है।
इसी तरह से नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत को भी कोरबा लोकसभा से प्रत्याशी बनाया जा सकता है क्योंकि सर्वे में उनकी पत्नी वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत की स्थिति संतोषजनक नहीं है। इसलिए अब ज्योत्सना महंत की जगह डॉ. चरणदास महंत कोरबा लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी हो सकते हैं।
पूर्व डिप्टी सीएम सरगुजा महाराजा टीएस सिंह देव को राजनांदगांव या बिलासपुर से लड़ाया जा सकता है क्योंकि पहले बिलासपुर में टीएस सिंह देव की अच्छी पकड़ है और राजनांदगांव ऐसा लोकसभा सीट है जहां से लम्बे समय तक राज परिवारों ने ही नेतृत्व किया है।
इसी तरह से साहू बाहुल्य महासमुंद या दुर्ग से पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू को कांग्रेस प्रत्याशी घोषित करके चुनाव को रोमांचक बना सकती है।
जांजगीर सीट से पूर्व मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया के अलावा अनूसूचित जाति वर्ग से जांजगीर जिले के किसी सिटिंग एमएलए को भी कांग्रेस प्रत्याशी बना सकती है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जांजगीर जिले की सभी सीटों को जीता था।
इसी तरह से पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज का बस्तर से लड़ना तय माना जा रहा है वहीं कांकेर से पूर्व मंत्री मोहन मरकाम, राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम को भी लड़ाया जा सकता है।
सरगुजा संभाग की दो लोकसभा सीटों सरगुजा और रायगढ़ से प्रत्याशी चयन के लिए सरगुजा महाराजा टीएस सिंह देव इस बार भूपेश बघेल के पाले में गेंद डालकर बघेल खेमे के प्रत्याशी को सहमति दे सकते हैं।
बता दें कि आने वाला लोकसभा चुनाव कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए राज्यों के सभी क्षत्रपों को लोकसभा चुनाव में उतारने के लिए इंडिया गठबंधन में शामिल दलों का भी कांग्रेस पर भारी दबाव है।
इंडिया गठबंधन में अपना दबदबा साबित करने के लिए कांग्रेस भी सभी राज्यों के बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतारना चाहती है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की नीति स्पष्ट है कि जो अपने आप को बड़ा नेता बताते हैं वो लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे तब उन्हें बड़ा नेता माना जाएगा।इसी रणनीति के तहत कांग्रेस छत्तीसगढ़ में भी अपने सभी बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने जो आंतरिक सर्वे कराया है उस सर्वे से उसके होश उड़ गए हैं कि जिन हिंदी भाषी राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान में कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है, उन राज्यों में कांग्रेस की स्थिति पिछले चुनाव की अपेक्षा कमजोर हुई है। इसलिए इंडिया गठबंधन में अपने वर्चस्व को बनाने के लिए इन हिंदी भाषी राज्यों में भी कांग्रेस को अच्छा प्रदर्शन करके दिखाने की चुनौती है वरना इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को भाव देने से रही।
इंडिया गठबंधन के दलों ने कांग्रेस की सोच को भांप लिया है कि जिन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों मजबूत है, वहां उनसे सीट शेयरिंग करके कांग्रेस लोकसभा में अपनी सीट को बढ़ाना चाहती है जबकि इंडिया गठबंधन दलों का भी कांग्रेस पर दबाव है कि कांग्रेस में राज्यों में जितने भी क्षत्रप हैं उन सभी क्षत्रपों को कांग्रेस लोकसभा में प्रत्याशी घोषित करे जिससे कि ये क्षत्रप अपनी साख बचाने के लिए जीतने की कोशिश कर लोकसभा में इंडिया गठबंधन के सीट में वृद्धि करें।