कथावाचक आचार्य राहुलकृष्ण ने कहा : “”जब राजा धर्मपरायण होता है तो पूरी प्रजा धर्म का पालन करती है…””आकर्षक जीवन्त झाँकियां निकालने के बाद हवन, पूर्णाहुति व भण्डारा के साथ हुआ नौ दिवसीय श्रीराम कथा का समापन…

पेण्ड्रा।गौरेला।मरवाही (छग एमपी टाइम्स/06 अप्रैल 2024) :
मरवाही के ग्राम कुम्हारी में चौबे परिवार द्वारा आयोजित नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव में वृन्दावन धाम से पधारे पंडित राहुलकृष्ण व्यास महाराज भक्तजनों को भगवान श्रीराम की संगीतमयी कथा सुनाकर कृतार्थ किये।

श्रीराम कथा में भक्तिभाव तन्मयता के साथ यज्ञकर्ता पंडित कमला प्रसाद चौबे, मीरा चौबे, प्रेमवती तिवारी, सत्येश, रितेश चौबे सपरिवार कथा श्रवण किये। वहीं आसपास क्षेत्र के श्रद्धालु भक्तजनों की भीड़ भी इस कथा में विशेष रूप से देखने को मिली। स्थानीय श्रोतागण इस आयोजन की सराहना कर रहे हैं।कथा के दौरान वृन्दावन धाम से आये झाँकी कलाकार ने कई कथा चरित्रों पर झाँकी का मनमोहक व अनूठा प्रदर्शन कर भक्तों को भाव विभोर कर दिया। पूरा पंडाल श्रीराममय माहौल में जय जय सियाराम के जयघोष से गुंजायमान रहा वहीं कई भक्तजन भजन सुनकर भक्तिभाव में झूम उठे। इस बीच राजा रामचन्द्रजी, माता सीता, पवनपुत्र हनुमान, लखन, भरत, शत्रुघ्न की आकर्षक जीवन्त झाँकियां निकाली गईं और राम राज्याभिषेक उत्सव हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया।

कथा के अंतिम दिवस में व्यास ने अशोक वाटिका में सीताजी से हनुमानजी की भेंट एवं प्रभु श्रीरामजी की मुद्रिका भेंट किये जाने का सुंदर वर्णन किया। इसके साथ ही अशोक वाटिका, हनुमानजी द्वारा वाटिका के पहरेदार राक्षसों के वध सहित स्वर्ण लंका नगरी को जलाना, विभीषण का प्रभु श्रीराम के शरण में आना, समुद्र पार करने के लिए अभीष्ट पूजन सहित रामसेतु निर्माण कथा चरित्र, कुम्भकर्ण वध, शक्तिबाण लक्ष्मण को लगने पर वैद्यराज सुसेण का आना, मेघनाद वध, रावण वध सहित विभीषण को राजतिलक कर लंका नगर सौंपना आदि कथा चरित्र का सुंदर वर्णन किया गया। इसके साथ ही 14 वर्ष के पश्चात वनवास से अयोध्या नगरी लौटने पर राम राज्याभिषेक उत्सव का आनन्ददायी एवं भावपूर्ण कथा श्रवण कराया गया।

पंडित व्यास ने कहा कि जीवन में सुख दुःख आते जाते रहते हैं दुःख से घबराकर हमें विचलित नहीं होना चाहिए। ऐसे संकट की घड़ी में हमें धैर्य का परिचय देना चाहिए। भगवान राम ने पिता की आज्ञा का पालन कर वनवास में कई वर्षों तक कष्ट को प्राप्त किये लेकिन उन्होंने अपने कर्तव्यपथ और धर्मपथ का साथ नहीं छोड़कर एक आदर्श प्रस्तुत किया है। सनातन धर्म की रक्षा कर संस्कृति व धार्मिक मूल्यों को सहेजना हम सभी का दायित्व है। कथा के अंत में व्यास ने श्रवण कराया कि भगवान श्रीराम जब 14 वर्ष के पश्चात् अयोध्या नगरी लौटे तो पूरे अयोध्या नगरी में खुशियाँ मनाई गईं। नगर में घर घर दीप जलाये गए। राजा रामचन्द्रजी का राज्याभिषेक किया गया। राजा राम को पाकर प्रजाजन बहुत खुश थे। जिस राजा के राज्य में या देश में प्रजा दुःखी है वह निश्चित नरक को प्राप्त होता है। राजा जब धर्मपरायण होता है तो पूरी प्रजा धर्म का पालन करती है। जो राजा प्रजा हित में सोंचकर उनका कल्याण करता है वह राजा प्रजाजनों में पूजनीय है। नवम दिवस में संगीतमय कथा का विश्राम किया गया। सभी आचार्यों का सम्मान किया गया। तत्पश्चात् वैदिक विधि विधानों से ब्राह्मणों द्वारा हवन कार्य कराया गया और पूर्णाहुति दी गई। विधिवत भण्डारा प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान सत्येश, रितेश चौबे, लव शर्मा सहित पारिवारिक सदस्यों एवं स्थानीय लोगों का आयोजन व्यवस्था व्यवस्थित करने में विशेष सहयोग रहा।