अजीत जोगी जैसा न भूतो न भविष्यति : इंजीनियर, प्रोफेसर, आईपीएस, आईएएस, एलएलबी और छत्तीसगढ़ के पहले सीएम…,सपनों का सौदागर कहलाने वाले जोगी दूर करना चाहते थे छत्तीसगढ़ियों के “अमीर धरती गरीब लोग” का विरोधाभास…,14 साल लगातार जोगी के कलेक्टर रहने का रिकार्ड कायम है, जिसे तोड़ना हर आईएएस का सपना होता है…

रायपुर।पेण्ड्रा।गौरेला।मरवाही (छग एमपी टाइम्स/29 अप्रैल 2024) :
छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्व अजीत जोगी की आज 78वीं जन्म जयंती है। 29 अप्रैल 1946 को उनका जन्म हुआ था। विलक्षण प्रतिभा के धनी रहे अजीत जोगी के बारे में कहा जाता है कि “ अजीत जोगी जैसा न भूतो न भविष्यति”। मिशन स्कूल गौरेला के बाद मल्टी परपज हायर सेकेण्डरी स्कूल पेण्ड्रा से मैट्रिक की पढ़ाई कर एमएसीटी कालेज भोपाल से इंजीनियर (गोल्ड मेडलिस्ट) रहे जोगी प्रोफेसर, आईपीएस, आईएएस, एलएलबी और छत्तीसगढ़ के पहले सीएम रहे। सपनों का सौदागर कहलाने वाले जोगी ने छत्तीसगढ़ को बहुत करीब से देखा और समझा था। वो कहते थे कि यहां की धरती में अकूत खनिज संपदा कोयला, लौह अयस्क, बाक्साईड, हीरा, सोना होने के बावजूद यहां “अमीर धरती गरीब लोग” का विरोधाभास है। जोगी इस विरोधाभास को दूर करना चाहते थे लेकिन नहीं कर सके।

2004 में दुघर्टना के बाद अजीत जोगी 16 सालों तक व्हीलचेयर पर थे। एक सड़क दुर्घटना के बाद उनके कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था। लेकिन अजित जोगी अपने जीवन के अंतिम दिनों तक अपनी इच्छाशक्ति और जिजीविषा के बल पर राज्य के सर्वाधिक चर्चित नेता बने रहे। उनके विरोधी भी कहते थे कि जोगी व्हीलचेयर के सहारे नहीं, ‘विलपावर’ यानी इच्छाशक्ति के सहारे हैं।

29 अप्रैल 1946 को जोगी डोंगरी, सारबहरा पेण्ड्रारोड, जिला जीपीएम, छत्तीसगढ़ में जन्मे अजीत जोगी ने भोपाल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई में और बाद में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से क़ानून की पढ़ाई में गोल्ड मेडलिस्ट रहे।

जोगी ने कुछ समय तक रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में अध्यापन भी किया था। यहीं रहते हुये उन्होंने सिविल सर्विसेस की परीक्षा दी और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के लिये चुने गये। डेढ़ साल तक पुलिस सेवा में रहने के बाद जोगी ने फिर से परीक्षा दी और वो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के लिये चुन लिये गये। इसमें भी वे टॉपर रहे।

अजीत जोगी अविभाजित मध्य प्रदेश में 14 सालों तक कई महत्वपूर्ण जिलों सीधी, शहडोल, रायपुर, इंदौर के कलेक्टर रहे। अपनी दबंग छवि के कारण वो मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के काफ़ी नज़दीकी लोगों में शुमार थे। अर्जुन सिंह और राजीव गांधी की सलाह पर ही उन्होंने नौकरी छोड़ी और फिर उन्हें कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा का सदस्य बनाया।

विलक्षण प्रतिभा के होने के कारण जल्दी ही अजीत जोगी राजीव गांधी की कोर टीम के सदस्य बन गये। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की कोचिंग भी जोगी की निगरानी में हुई। दो बार राज्यसभा के लिये चुने जाने वाले अजीत जोगी को कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनाया था। 1998 में उन्होंने रायगढ़ लोकसभा से पहली बार चुनाव लड़ा और वो लोकसभा पहुंचे। 

वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश से अलग जब छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया तो मुख्यमंत्री के तमाम नामों की अटकलों के बीच अप्रत्याशित रूप से अजीत जोगी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनाये गये।

मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिलते ही जोगी ने किसी करिश्माई नेता की तरह काम करना शुरू किया। स्थानीय बोली में दिये जाने वाले उनके भाषणों ने पहली बार लोगों में छत्तीसगढ़िया अस्मिता को जगाने का काम किया। रामानुजगंज से लेकर कोंटा तक, राज्य के अलग-अलग हिस्सों में उनके हर दिन के दौरों का रिकॉर्ड अब तक बरक़रार है।

वर्ष 2016 तक छत्तीसगढ़ में 16 सालों तक प्रदेश कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष कोई भी रहा हो लेकिन पार्टी में सबसे निर्णायक भूमिका अजीत जोगी की ही बनी रही। जोगी ने 21 जून 2016 को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) नाम से ख़ुद की पार्टी बना ली थी।

9 मई 2020 को गंगा इमली का बीज अजीत जोगी के गले में अटकने से वो कोमा में चले गए थे। काफी ईलाज के बावजूद वो कोमा से बाहर नहीं निकल पाए और 29 मई 2020 को उनके निधन से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि भारत देश ने एक ऐसे कर्मयोगी नेता को खो दिया था जिनकी प्रतिभा और लोकप्रियता का लोहा सभी मानते थे।

स्व अजीत जोगी के परिवार में उनकी पत्नी डॉक्टर रेणु जोगी, पुत्र अमित जोगी, बहु ऋचा जोगी और पोता अयान जोगी हैं। उनकी बनाई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) का कमान उनकी पत्नी और पुत्र के हाथों में है।

वो 3 साल जब मरवाही क्षेत्र ही नहीं यहां लोग भी वीआईपी थे :

1 नवम्बर 2000 से 7 दिसम्बर 2003 तक 3 साल से ज्यादा समय तक स्व अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री थे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने उप चुनाव मरवाही विधानसभा क्षेत्र से लड़कर 51 हजार से ज्यादा वोटों से जीता था। जब तक जोगी मुख्यमंत्री रहे तब तक मरवाही क्षेत्र ही नहीं यहां लोग भी वीआईपी थे। स्थानीय दफ्तर से लेकर मंत्रालय तक मरवाही वालों को आने जाने में कहीं कोई रोक टोक नहीं थी। सभी फरियाद प्राथमिकता से सुने और निराकृत किए जाते थे। यहां के लोगों के रुकने खाने के लिए रायपुर में अलग से मरवाही सदन बनाया गया था।

भारत देश के किसी भी छोर में बसे गांव-शहर तक पहुंच जाती थी जोगी की मदद

छत्तीसगढ़ की राजनीति में स्वर्गीय अजीत जोगी एक मात्र ऐसी शख्सियत थे जिनके द्वारा भारत देश के किसी भी छोर में बसे गांव तक मदद पहुंचाया जा सकता था और मदद पहुंचता भी था। दूसरे राज्यों में काम करने जाने वाले छत्तीसगढ़िया मजदूर स्वर्गीय अजीत जोगी का मोबाइल नंबर अपने पास जरूर रखते थे, कि न जाने कब अजीत जोगी के मदद की जरूरत पड़ जाए। देश के विभिन्न राज्यों के गांवों शहरों में बंधुआ बनाकर रखे गए छत्तीसगढ़ के हजारों मजदूरों को अजीत जोगी ने न सिर्फ छुड़ाया था बल्कि उनका पूरा का पूरा मजदूरी भुगतान भी कराया था। अजीत जोगी असहाय और गरीबों की एक मानसिक ताकत थे। असहाय और गरीबों को लगता था कि वो यदि किसी मुसीबत में पड़ेंगे तो उन्हें जोगी जी की मदद से मुसीबत से निकाल लिया जाएगा।