
अंग व देह दान के बारे में अज्ञानता व जन जागरूकता का अभाव
रायपुर।जीपीएम (CG MP TIMES/27 अक्टूबर 2024) :
परोपकार मानवता का अभियान है, सभी दान से बढ़कर अंग दान है का नारा देने वाले पेण्ड्रारोड के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के जिला संयोजक मथुरा सोनी के द्वारा वर्ष 2016 से लगातार समर्पित व प्रतिबद्ध होकर किए गए प्रयास से छत्तीसगढ़ राज्य में ब्रेनडेड व कैडेवर अंग प्रत्यारोपण प्रारंभ होने के बाद सोनी ने अंग दान के पुण्य व परमार्थिक कार्य के सघन जन जागरूकता अभियान प्रारंभ कराने के लिए शासन से मांग किया है। साथ ही उन्होंने इसमें आने वाली जटिलताओं को कम करने के साथ ही इसके खर्च में भी कमी लाने की मांग की है जिससे कि अंग विफलता से पीड़ित ज्यादा से ज्यादा मरीजों को अंग प्रत्यारोपण का लाभ मिल सके।
उल्लेखनीय है कि सामाजिक कार्यकर्ता मथुरा सोनी 2016 से केंद्र व राज्य सरकार के साथ संपर्क कर व्यापक पत्राचार किए थे। कोटा क्षेत्र की तत्कालीन विधायक डॉक्टर रेनू जोगी के सहयोग से वर्ष 2017-18 में केंद्र का अंग प्रत्यारोपण अधिनियम छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा अंगीकृत किया गया था। छत्तीसगढ़ में अंग प्रत्यारोपण शुरु होने के बावजूद अंग विफलता से पीड़ित मरीजों की वेदना को देखते हुए एवं अंगों की पर्याप्त अनुपलब्धता के आंकड़ों को समझकर मथुरा सोनी ने केंद्रीय आवास व शहरी विकास मंत्री तोखन साहू से व छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष बृजलाल सिंह राठौर के साथ मिलकर ब्रेनडेड व केडेवर अंग प्रत्यारोपण का जन जागरूकता अभियान चलाने के लिए स्लोगंस, नारे व 13 सूत्रीय सुझाव व मांग पत्र सौंपा और इस महा अभियान में गति लाने का अनुरोध किया है। प्रदेश में अंग विफलता की पीड़ा से कराहते पीड़ित मरीजों के राहत व कल्याण हेतु सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की गई है।
बता दें कि विपरीत परिस्थितियों में भी जबकि मथुरा सोनी की पत्नी की मृत्यु दोनों किडनी खराब होने से वर्ष 2020 में हो चुकी है। और लगातार 8 साल तक वे सप्ताह में दो बार रायपुर ले जाकर डायलिसिस करवाते थे। फिर भी उनका हौसला टूटा नहीं। बल्कि उन्हीं के अथक प्रयास से जीपीएम जिला अस्पताल में डायलिसिस शुरु हुआ था। जो कि अब माह में 90 डायलिसिस जिला अस्पताल में हो रहा है।
धर्म शास्त्रों में दानवीर कर्ण, महर्षि दधीचि के अंग दान का उल्लेख मिलता है
भारतीय संस्कृति में परंपरा रही है कि व्यक्ति अपने अंग वा देह लोकोपयोगी कार्यों के लिए दान कर यश व पुण्य का भागीदार बनता था। संसार में दानवीर कर्ण का नाम यूं ही नहीं लिया जाता है।युद्ध क्षेत्र में उन्हें अपनी रक्षा के लिए कवच कुंडल जरूरी था, फिर भी देवराज इंद्र के मांगने पर उन्होंने कवच कुंडल का दान किया था। कुछ ऐसा ही प्रसंग महर्षि दधीचि का भी है। उन्होंने भी देवताओं के करुणा भरे निवेदन को स्वीकार कर अस्थियों का दान किया था। वेद व धर्म शास्त्रों में अंग व देहदान की महिमा के अनेक प्रसंग है। पर अज्ञानता व स्वार्थ के कारण लोगों ने परोपकार के ऐसे प्रेरक प्रसंगों पर ध्यान नहीं दिया। सभी जानते है कि मृत्यु के बाद शरीर अग्नि व मिट्टी में भस्म हो जाता है। कुछ लोग उन स्थानों पर समाधि व कुछ लोग स्मारक बनवा देते हैं। पर परमार्थ पारायण लोग देह वा देह के अंदर के अंगों का दान कर दान वीरता की मिसाल प्रस्तुत कर अंगों की विफलता से पीड़ित मनुष्यों के जीवन में रोशनी व खुशहाली लाते हैं। इन्हें हम देवदूत व मानवता के पुजारी की उपमा से अलंकृत कर सकते है। वराह पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति एक पीपल व एक बरगद अथवा दो अनार व पांच आम के वृक्ष लगा देता है, उसे नरकवास नहीं होता है। कल्पना कीजिए कि यदि प्रकृति की इस सेवा से व्यक्ति नरक गामी होने से बच जाता है तो नर सेवा को हमारे धर्म शास्त्रों में नारायण सेवा प्रतिपादित किया गया है। फिर यह तो अंगदान अभियान में हिस्सा लेकर के
अंग व देह दान के बारे में अज्ञानता व जन जागरूकता का अभाव
लोग अंगदान से महायज्ञ का पुण्य प्राप्त सकते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में अंगों की विफलता व मृत प्राय हो गए शारीरिक अंगों के कारण हजारों मरीज वर्षों से जीवन रक्षक मशीनों व दवाइयां पर निर्भर रहकर बहुत ही पीड़ादायक वा जटिल जिंदगी की सांसे गिन रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा मरीज किडनी, लीवर व आंख के कॉर्निया के हैं। इसका मुख्य कारण है अंग व देह दान के बारे में अज्ञानता व जन जागरूकता का अभाव। साथ ही ब्लड रिलेशन से प्राप्त अंगदान प्रत्यारोपण की जटिल प्रशासनिक प्रक्रिया व खर्चीली शल्य क्रिया भी कम हैरान करने वाली नहीं है। ऐसे में नेत्रदान व रक्तदान की तरह सभी के लिए सरलता व सुलभता से अंगों की व्यवस्था करना और जरूरतमंद मरीजों को समय सीमा में उन अंगों का प्रत्यारोपण किया जाना जरूरी है। इसके लिए ब्रेनडेड व कैडेवर अंग प्रत्यारोपण की पद्धति से अंग प्राप्त कर पीड़ित मरीजों को अंग प्रत्यारोपित कर उनकी जिंदगी को बचाना निश्चित रूप से विचारणीय प्रश्न है कि यह स्वप्न कब पूरा होगा।
सरसंघ चालक मोहन भागवत ने भी अंगदान को महायज्ञ माना है
इस विषय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने भी अंगदान के महायज्ञ में प्रेरणादाई मार्गदर्शन दिए हैं। उन्होंने कहा है कि कोई भी व्यक्ति 9081812047 में कॉल लगाकर अंग डोनेट कर सकता है।
3 वर्ष में राज्य में सिर्फ 9 लोगों ने अंग दान किया
जानकारी के अनुसार राज्य में केडेवर व ब्रेनडेड अंग प्रत्यारोपण से 3 वर्ष में मात्र 9 लोगों ने अंग दान किया है, जबकि प्रदेश में 3000 से ज्यादा मरीज अंग दानदाता की प्रत्याशा में मशीनों पर आश्रित जिंदगी जी रहे हैं। सोटो कार्यालय रायपुर यानी राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन में 131 मरीज ने किडनी लेने के लिए और 16 लीवर प्राप्त करने के लिए आवेदन किया है जो अंग दानदाताओं पर निर्भर करता है। पर यह उन्हें तभी मिलेगा जब ब्रनडेड यानी मस्तिष्क शून्य व्यक्ति व मृत शरीर दान से अंग मिले और अंग दानदाता व उनके परिजन इस पुण्य व परमार्थिक कार्य के लिए सहमत हो। इसलिए इस लोक कल्याण के कार्य हेतु सघन जन जागरूकता अभियान नेत्रदान व रक्तदान की तरह अंगदान हेतु पूरे प्रदेश में चलाना होगा।